बरेली : दिन में बंदूक लोड नहीं कर पाते, रात को लगाते हैं सटीक निशाना
बरेली, अमृत विचार। दो महीने पहले ही की बात है, जब संत कबीरनगर की खलीलाबाद कोतवाली में डीआईजी के सामने एक दरोगा बंदूक में गोली ही नहीं भर पाया था।
बरेली पुलिस लाइन में इस तरह के टेस्ट में पुलिस वालों के फेल होने के तमाम मामले रिकॉर्ड में हैं लेकिन फिर भी यह दिलचस्प है कि रात के अंधेरे में पुलिस वालों का निशाना एकदम सटीक बैठता है। गोली ऐन घुटने के नीचे लगती है। पशुधन मंत्री के इलाके में बड़े पैमाने पर हुई गोकशी के बाद शुरू हुई मुठभेड़ों में अब तक कई अपराधी पैर में पुलिस की गोली खा चुके हैं।
जिले में हाल ही में एकाएक शुरू हुई इन मुठभेड़ों में गोली खाने वाले आरोपियों की संख्या 10 के आसपास पहुंच चुकी है। पुलिस की गोली न उनकी छाती में लगती है न सिर या पीठ पर, सिर्फ पैर को निशाना बनाती है। यह अलग बात है कि पिछले अभियान में पुलिस का निशाना अपराधियों का दायां पैर रहता था, इस बार बांया पैर है। मुठभेड़ के बाद पुलिस की टीम फिल्मी स्टाइल में मौके पर फोटो शूट कराना भी नहीं भूलती।
केस- 1
हाफिजगंज पुलिस के मुताबिक बुधवार देर रात बैतूल नदी के पुल के पास तस्करों से आमना-सामना हुआ। तस्करों ने फायरिंग की तो एक गोली सिपाही बॉबी कुमार के हाथ को रगड़ते हुए निकल गई। जवाबी फायरिंग में पुलिस की गोली दो तस्करों के पैर के घुटने के नीचे लगीं। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
केस- 2
मंगलवार देर रात अदलखिया केसरपुर रोड के पास दो तस्करों के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई। जवाबी फायरिंग में एक तस्कर के पैर में घुटने के नीचे गोली लगी। उसे गिरफ्तार कर फोटो शूट किया गया। आरोपी पर पहले से ही 10 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसका साथी जाबिर फरार हो गया।
केस- 3
नवाबगंज पुलिस की सोमवार देर रात ग्रेम डैम के पास हाफिजगंज निवासी पशु तस्कर इलियास के साथ मुठभेड़ हुई। पुलिस के दावे के मुताबिक पहले पशु तस्कर ने फायरिंग की। जवाब में फायरिंग हुई तो पुलिस की गोली उसके बाएं पैर में घुटने के नीचे लगी। फोटो शूट कराकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
अमिताभ ठाकुर (पूर्व आईपीएस) का कहना है पिछले छह बरसों से जिस तरह मुठभेड़ दिखाई जा रही हैं, उनकी स्थिति देखकर साफ है कि ये सिर्फ दिखावे के लिए फर्जी तरीके से हो रही हैं। शासन और सत्ता के डर से पीड़ित पक्ष आवाज नहीं उठा पा रहा है लेकिन देर-सवेर न्याय जरूर होगा।
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