अयोध्या : दर्शन मार्ग में हुआ बदलाव, मूर्ति के लिए राजस्थान से भी आईं तीन शिलाएं

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Published By Virendra Pandey
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मन्दिर निर्माण समिति की दूसरे दिन की बैठक का समापन, परिसर में कई कार्यों पर लगी मुहर

अयोध्या, अमृत विचार। राम जन्मभूमि परिसर में भगवान श्री रामलला के अस्थाई मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन के मार्ग में बदलाव किया गया है। ट्रस्ट के मुताबिक मंदिर के परकोटे निर्माण के कारण यह निर्णय लिया गया है। दूसरी तरफ राम मंदिर में भगवान श्री रामलला के विराजमान कराए जाने के लिए मूर्ति चयन की प्रक्रिया अभी समाप्त नहीं हुई है। नेपाल के गंडकी नदी से आई शालिग्राम शिला और मैसूर से लाई गई शिलाओं के बाद अब राजस्थान से भी तीन शिलाएं रविवार को अयोध्या पहुंची हैं।

राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन रविवार को मंदिर निर्माण सहित परिसर में चल रहे अन्य कार्यों पर मोहर लगा दी गई। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक में कार्य की प्रगति समय के अनुसार है, जितने भी स्थानों पर कार्य चल रहा है हर एक साइड पर विजिट हुई और कार्य की प्रगति का लेखा-जोखा लिया गया। क्योंकि वहां तीर्थयात्री सुविधा केंद्र बन रहा है। बिजली घर बन रहा है। सप्लाई के लिए अलग स्थान तैयार किया रहा है। 300 टॉयलेट ब्लॉक, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बन रहा है। परकोटा और रिटेनिंग वॉल का भी निर्माण हो रहा है। मंदिर निर्माण में पत्थरों को जोड़ा जा रहा है। बिड़ला मंदिर के सामने से जो नई सड़क जन्मभूमि पथ बनाई जा रही है। इसे भी देखा गया क्योंकि यह सड़क सीधे तीर्थ यात्रियों से जुड़ी है। वह रुट देखा गया है, जिस रूट पर दर्शनार्थियों को एक वर्ष के लिए डायवर्ट किया जाएगा। परकोटा निर्माण की कुछ आवश्यकताएं हैं। इसलिए थोड़ा डायवर्जन किया गया है। साथ ही मंदिर निर्माण के अंदर जो लाइटिंग होगी उसको भी अंतिम रूप दिया गया है।

स्कैनिंग प्वाइंट पर हुआ मंथन

रामलला का दर्शन करने के लिए आने वाले यात्री सुविधा केंद्र पर सामान लेकर आएंगे तो स्कैनिंग कहां होगी और अपने मोबाइल और समान कहां पर रखे जाएंगे। दर्शन कर वापस आने के बाद उस सामान को कैसे प्राप्त कर सकेगा। इस पर गहनता से मंथन किया गया है। इसे अब अंतिम रूप दिए जाने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।

मार्च में रामलला की मूर्ति के लिए होगी मूर्तिकारों की बैठक

राम मंदिर में भगवान राम लला की आंचल प्रतिमा लगाए जाने की योजना पर भी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट लगातार मंथन कर रहा है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि रामलला की मूर्ति को लेकर सबको बताया गया कि कर्नाटक से दो और आज राजस्थान 3 शिलाएं से भी आई हैं। संभवता राजस्थान से एक और दक्षिण भारत के एक और शिलाखंड आनी है। इसकी जानकारी सभी मूर्तिकारों को दे दी गई है। होली के बाद सभी मूर्तिकारों के साथ बैठक कर इसका भी निर्णय लिया जाएगा। 

4 शिल्पकार बनाएंगे जटायु और महर्षि अगस्त्य की मूर्ति

राम जन्मभूमि परिसर में जटायु और महर्षि अगस्त्य के मंदिर में मूर्ति लगाए जाने के लिए स्वरूप का निर्धारण कर लिया गया है। ट्रस्ट की माने तो राम जन्मभूमि परिसर में बनने वाले अन्य मंदिरों को लेकर भी विस्तार पूर्वक चर्चा किया गया है, जिसमें जटायु की मूर्ति के निर्माण की चर्चा लगभग पूरी हो चुकी है जिसमें 4 लोगों का सेलेक्शन भी किया गया है। जटायु का स्वरूप क्या होगा यह निर्धारित किया जा चुका है। महर्षि अगस्त्य की प्रतिमा कैसे बने क्योंकि वह छोटे कद के हैं। इस पर भी काफी गहनता से मंथन हुआ।

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