गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है मां की सोच और व्यवहार का असर: डॉ. संगीता सारस्वत
लखनऊ,अमृत विचार। मां की सोच, भावनाएं एवं व्यवहार का असर सीधा गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। यह कहना है स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संगीता सारस्वत का। वह सोमवार को गांधी भवन प्रेक्षागृह में 'आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी' अभियान के तहत आशा बहु और आंगनबाड़ी वर्कर्स के लिए आयोजित कार्यशाला में संबोधित कर रही थीं।

उन्होंने बताया जिस तरह टेपरिकार्डर आवाज को अंकित कर लेता है, ठीक उसी प्रकार स्त्री के मन में उठने वाले अच्छे-बुरे सभी विचार एवं भावनाएं गर्भस्थ शुशु अपनी स्मृति में समेट लेता है। शिशु का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक विकास गर्भ में ही हो जाता है। यह विज्ञान सम्मत प्रक्रिया है जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि गर्भ में ही बच्चा देखता है, सुनता है, अनुभव करता है, एवं अपनी प्रतिक्रिया भी देता है।
कार्यशाला का आयोजन गायत्री परिवार ट्रस्ट, गोमतीनगर और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयास से किया गया। शुभारंभ आइसीएमसी की अध्यक्ष डॉ. चंद्रावती ने किया। इस मौके पर ट्रस्ट के पदाधिकारी रीता सारस्वत, पूजा द्विवेदी, सुमित्रा श्रीवास्तव, योगाचार्य अर्चना वर्मा और ममता श्रीवास्तव प्रमुख रूप से मौजूद रहीं।
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