सिर्फ लालू की बेटी रोहिणी ही नहीं, बल्कि इन महिलाओं ने भी किडनी डोनेट कर बचाई अपने बेटों और पति की जिंदगी, केजीएमयू के चिकित्सकों ने किया सम्मान
लखनऊ, अमृत विचार। महिलाओं और बेटियों में दया और त्याग का गुण होता है। वह मानवता के कल्याण में अपना फर्ज पूरी निष्ठा से निभाती हैं। यदि बात पिता, बेटे और सुहाग की जिंदगी से जुड़ी हो तो अपने जान की परवाह भी नहीं करती। कुछ महीने पहले किडनी की बीमारी से जूझ रहे RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद की जिंदगी बचाने के लिए उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने बड़ा फैसला लिया था । रोहिणी आचार्य ने अपनी किडनी देकर अपने पिता की जान बचाई। उनका यह कार्य देश की सभी बेटियों के लिए मिसाल बना।
कुछ इसी तहर का कार्य यूपी में तीन महिलाओं ने भी किया है। इन महिलाओं ने अपनी एक किडनी देकर अपने बेटे और पति को नई जिंदगी दी है। त्याग- समर्पण,स्नेह,धैर्य और दायित्व की प्रतिमूर्ति इन तीनों महिलाओं का सम्मान विश्व गुर्दा दिवस व अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर केजीएमयू के चिकित्सकों ने किया है।
जिन तीन महिलाओं का सम्मान केजीएमयू में चिकित्सकों ने किया है। उनका नाम हरदोई निवासी गीता देवी इन्होंने अपने 30 साल के बेटे सचिन को किडनी देकर उसकी जान बचाई । वहीं लखनऊ की सुखरानी ने भी अपने बेटे को किडनी देकर उसकों नई जिंदगी दी है। जबकि पूजा ने अपने पति को किडनी देकर जान बचाई है।
दरअसल, किंगजार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में नेफ्रोलॉजी विभाग द्वारा विश्व गुर्दा दिवस एवं अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को गुर्दे ( किडनी) के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और महिलाओं के त्याग-समर्पण की भावना को समाज के सामने लाना था। जिसमें चिकित्सकों ने न सिर्फ अहम भूमिका निभाई है बल्कि समाज के लिए एक नजीर भी पेश की है।
केजीएमयू के नेफ्रोलॉजी विभाग की तरफ से बीते कुछ महीनों से लगातार गुर्दा प्रत्यारोपण का कार्य सफलता पूर्वक किया जा रहा है। नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. विश्वजीत सिंह के मुताबिक एक केडावेरिक प्रत्यारोपण और 3 लिविंग रिलेटेड डोनर वाला प्रत्यारोपण हो चुका है। उन्होंने बताया कि लिविंग डोनर प्रत्यारोपण में तीनों ही किडनी डोनर महिला थी। उन्होंने बताया कि दो माँ ने अपने पुत्रों को किडनी देकर जान बचाई, जबकि एक पत्नी ने अपने पति को किडनी देकर जीवनदान दिया।
इन तीनों ही मातृशक्ति को शाल और फूल का गुलदस्ता देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO में इस बार Kidney Health for All का नारा दिया है। प्रो. विश्वजीत सिंह ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए गुर्दा प्रत्यारोपण पर नेफ्रोलॉजी विभाग द्वारा किए गए कार्यो की जानकारी देते हुये कहा कि किडनी की बीमारी झेल रहे मरीजों के लिए केजीएमयू में सोमवार से शनिवार तक रोजाना ओपीडी चलाई जा रही है। जिससे ज्यादा से ज्यादा मरीजों को समय पर इलाज मिल सके ।
डॉ मेधावी गौतम ने बताया कि जीवनशैली और खान पान में घोर लापरवाही के चलते लोगों में किडनी की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। किडनी की बीमारी से बचने के लिए सभी लोगों को खून और युरीन की जांच वर्ष में एक बार जरूर करानी चाहिए। यह काफी सस्ती जांचे हैं। इन जांचों से समय रहते बीमारी का पता चल सकता है और जिंदगी बच सकती है। वहीं डॉ.दुर्गेश कुमार पुष्कर ने बताया कि 86 प्रतिशत महिलाएं गुर्दादान करती हैं जबकि पुरुषों का प्रतिशत काफी कम है। इसे ठीक करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर डॉ. लक्ष्य कुमार, प्रो एसके सोनकर, प्रो तुलिका चंद्रा, डॉ विवेक कुमार, डॉ रति प्रभा, डॉ रमन कुमार, डॉ विशाल पुनिया समेत अन्य डाक्टर्स उपस्थित रहे।
