Chitrakoot: वर्तमान और पूर्व श्रम प्रवर्तन अधिकारी मुख्यालय से संबद्ध, SP विधायक की शिकायत पर जांच के बाद हुई कार्रवाई

Amrit Vichar Network
Published By Kanpur Digital
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चित्रकूट में वर्तमान और पूर्व श्रम प्रवर्तन अधिकारी मुख्यालस से संबद्ध किए गए।

चित्रकूट में वर्तमान और पूर्व श्रम प्रवर्तन अधिकारी मुख्यालस से संबद्ध किए गए। वहीं, सपा विधायक की शिकायत पर जांच के बाद कार्रवाई हुई।

चित्रकूट, अमृत विचार। समाजवादी पार्टी से सदर विधायक अनिल प्रधान की शिकायत के बाद श्रमायुक्त उप्र अनिल कुमार ने तत्कालीन श्रम प्रवर्तन अधिकारी दुष्यंत कुमार और वर्तमान श्रम प्रवर्तन अधिकारी अरुण कुमार तिवारी को मुख्यालय कानपुर से संबद्ध कर दिया है। दोनों अधिकारियों पर की गई शिकायतें जांच में प्रथमदृष्टया सही पाई गई हैं। 

गौरतलब है कि सदर विधायक ने तत्कालीन श्रम प्रवर्तन अधिकारी दुष्यंत कुमार, जो अब बबेरू बांदा में पदस्थ हैं, पर निर्माण श्रमिकों के लिए उप्र भवन अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा
संचालित कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार व अन्य अनियमितताओं की शिकायत की थी। इस संबंध में अपर श्रमायुक्त उप्र की अध्यक्षता में जांच कराई गई। जांच में दुष्यंत कुमार पुत्री विवाह अनुदान योजना में कल्याण बोर्ड की शर्तों के स्पष्ट उल्लंघन के प्रथमदृष्टया दोषी पाए गए। पाया गया कि उन्होंने कई लाभार्थियों को पात्रता की न्यूनतम सीमा के पूर्व ही योजना के लाभ की संस्तुति कर दी।
 
इसकी पुनरावृत्ति कई बार की गई। जांच में यह भी पाया गया कि तत्कालीन श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने जिले में अपनी तैनाती के दौरान उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की विभिन्न योजनाओं में अपात्र आवेदनकर्ताओं को लाभ प्रदान किए जाने की संस्तुति की। इससे शासकीय धनराशि की क्षति हुई। श्रमायुक्त अनिल कुमार ने दुष्यंत कुमार को प्रथमदृष्टया दोषी पाने पर विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए तत्काल प्रभाव से श्रमायुक्त मुख्यालय कानपुर से संबद्ध कर दिया है। 
 

वर्तमान श्रम प्रवर्तन अधिकारी पर भी कार्रवाई

इसी क्रम में सदर विधायक ने तीन फरवरी को भेजे शिकायती पत्र में वर्तमान श्रम प्रवर्तन अधिकारी अरुण कुमार तिवारी पर भी भ्रष्टाचार और अनियमितता की शिकायत की थी। जांच टीम ने पाया कि तिवारी के पास मातृत्व शिशु एवं बालिका मदद योजना, पुत्री विवाह अनुदान योजना, निर्माण कामगार मृत्यु एवं दिव्यांगता सहायता योजना के तहत आए 592 आवेदन पत्रों में से बिना कारण दर्शाए 132 आवेदन निरस्त कर दिए गए। इतनी संख्या में बगैर कारण आवेदन निरस्तीकरण भी उप्र सरकारी सेवक आचरण नियमावली के प्रतिकूल पाया गया। जांच में पाया गया कि श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने कंप्यूटर आपरेटर जगतराम की मिलीभगत से अपात्र आवेदनकर्ताओं को योजनाओं के लाभ की संस्तुति की। असाधारण विलंब कर संवेदनहीनता दर्शाते हुए आवेदन निरस्त किए। इनको भी प्रथमदृष्टया दोषी पाए जाने पर तत्कालीन प्रभाव से मुख्यालय कानपुर से संबद्ध किया गया है। 
 

कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं विधायक

सदर विधायक अनिल प्रधान हालांकि इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने बताया कि जिले में श्रम कार्यालय में व्यापक रूप से भ्रष्टाचार की कई बार शिकायत की थी। इस संबंध में विधानसभा में नियम 51 के तहत छह दिसंबर को पत्र प्रेषित किया था। अनिल ने बताया कि पहली बार कानपुर से आए उप श्रमायुक्त ने बिना उनकी और अन्य पात्रों की बातें सुने दोनों अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी थी। इसके बाद उन्होंने अपर मुख्य सचिव श्रम एवं सेवायोजन से शिकायत की थी। इसके बाद उप श्रमायुक्त कानपुर और एक अन्य अधिकारी ने जिले में आकर सभी का पक्ष सुना और दोनों अधिकारियों के खिलाफ पर्याप्त सुबूत पाए गए। हालांकि सदर विधायक का कहना है कि दोनों पर बड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, दोनों का निलंबन किया जाना चाहिए। इसके लिए वह आगे भी पैरवी करेंगे। 
 

कंप्यूटर आपरेटर की सेवा समाप्त 

गौरतलब है कि प्रवर्तन कार्यालय में तैनात कंप्यूटर आपरेटर जगतराम कुशवाहा की सेवा समाप्ति का आदेश तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा पहले ही दिए जा चुके हैं। विधायक ने बताया कि इस आउटसोर्स कार्मिक के खिलाफ कई शिकायतें मौखिक और लिखित की गई थीं। इसमें जांच टीम ने इसे भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने की पुष्टि की थी। इसके अलावा पूर्व में जांच करने वाले उप श्रमायुक्त मुख्यालय कानपुर अजय मिश्रा को चार्जशीट दी गई है।

 

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