अयोध्या : किसान को पट्टे में मिले तालाब को बनाया अमृत सरोवर, लगान भी वसूल रहे 

आठ हजार सालाना वसूल रहा है तहसील प्रशासन, न्याय के लिए भटक रहा पीड़ित

अयोध्या : किसान को पट्टे में मिले तालाब को बनाया अमृत सरोवर, लगान भी वसूल रहे 

2020 में मिला था पट्टा, मछली पालन के लिए लिया था बैंक से दो लाख का लोन

अयोध्या, अमृत विचार। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अमृत सरोवर को लेकर अयोध्या में बड़ा मामला सामने आया है। एक किसान को पट्टे में मिले तालाब को ही सरकारी अमृत सरोवर बना दिया गया। इतना ही नहीं किसान से उसका लगान अलग वसूला जा रहा है। सरकारी मशीनरी का हैरतअंगेज कर देने वाली यह करतूत जिले के पूराबाजार ब्लॉक के ग्राम पंचायत ददेरा की है। अब पीड़ित महीनों से लगान माफ कराने के लिए हुक्मरानों की चौखट पर एड़ियां रगड़ रहा है। 

गंभीर बात यह है कि जिम्मेदारों ने यह कारनामा तब किया जब पीड़ित ने मछली पाल कर परिवार का भरण पोषण करने के लिए तालाब का पट्टा और बैंक से दो लाख ऋण लेकर मछली का बच्चा डाल दिया। निर्माण के दौरान तालाब में पानी नहीं था नतीजतन मछलियां भी मर गईं। ग्राम पंचायत ददेरा निवासी इंद्र कुमार प्रियदर्शी ने उपजिलाधिकारी सदर को दिए गए शिकायती पत्र में कहा है कि वर्ष 2020 में मछली पालन के लिए गाटा संख्या 1265 क्षेत्रफल 0.759 हेक्टेयर तालाब का पट्टा लिया। बड़ौदा पूर्वी उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक शाखा दर्शन नगर से 18 दिसंबर 2021 को दो लाख का ऋण लिया, जिसमें 16 हजार की बोरिंग व 40 हजार में तालाब का सौंदर्यीकरण कराया। शेष लाख 40 हजार के मछली का बच्चा तालाब में डाल दिया था। वर्ष 2022 में ग्राम पंचायत ने उक्त तालाब को अमृत सरोवर घोषित कर पानी भरने से मना कर दिया, जिससे तालाब में पड़े मछली के बच्चे मर गए। प्रधान व सचिव ने मछली पालने से मना कर दिया जिससे काफी नुकसान हुआ। 

सालाना 8 हजार रुपये है लगान 

पीड़ित पट्टा धारक ने बताया कि सालाना 8 हजार लगान पड़ता है। एक वर्ष का लगान जमा कर दिया है। दूसरा साल बीत गया है। अब तीसरा साल चल रहा है। दोनों साल का लगान माफ करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। इसी बीच 10 अक्टूबर 2022 को पिताजी की मौत के बाद परिवार के 12 सदस्यों के भरण पोषण की जिम्मेदारी है। उसने एसडीएम सदर से लगान माफ करने व पुन: मछली पालन की अनुमति की मांग की है।

अब करे तो क्या करे ?

पट्टाधारक इंद्र कुमार प्रियदर्शी कहते हैं कि मछली पालन ही परिवार की जीविका का एकमात्र आधार था। प्रधान और सेक्रेटरी ने उसे पट्टे में मिले तालाब का चयन अमृत सरोवर में कर दिया। तालाब में पानी भरने से मना कर दिया, जिससे तालाब में पड़ी मछलियां मर गईं। एक साल का लगान जमा किया था दूसरे साल का लगान देना है, जिसके वसूली के लिए नोटिस आई है। समझ में नहीं आता कैसे लोन व लगान जमा करें या फिर परिवार के लिए रोटी कपड़ा की व्यवस्था करें। बोला सिर्फ एक ही रास्ता बचा है कि मौत को गले लगा लें।

कोट - 

अमृत सरोवर बनाए गए सभी तालाब पट्टे के ही हैं। पीड़ित को मछली पालने के लिए कभी मना नहीं किया गया है। जहां तक लगान की बात है वह नियमत: अब नहीं लिया जा सकता है।
- शिव कुमार, ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम ददेरा

कोट - 

मैंने मौके पर जाकर पीड़ित के शिकायत की जांच की है। शिकायत सही पाई गई है। पट्टा धारक का काफी नुकसान हुआ है, जिसकी रिपोर्ट तहसील प्रशासन को भेजी जाएगी। लगान माफ करने का प्रयास किया जाएगा।
- मोहम्मद अहमद खान, राजस्व निरीक्षक, अलावलपुर

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