बरेली: आरएसी ने जारी की रमजान की खास जंत्री, हालात के मद्देनजर दिए गए अहम पैगाम

बरेली: आरएसी ने जारी की रमजान की खास जंत्री, हालात के मद्देनजर दिए गए अहम पैगाम

बरेली, अमृत विचार। ऑल इंडिया रज़ा एक्शन कमेटी (आरएसी) के नायब सदर मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने आज रमज़ान की ख़ास जंत्री जारी की। दरगाह आला हज़रत के पास आयोजित इस कार्यक्रम में ज़िले भर से उलमा शरीक हुए। इस जन्तरी में मुल्क के नाज़ुक हालात को ध्यान में रखते हुए मुसलमानों को ख़ास पैग़ाम दिया गया है।

आमतौर पर जन्तरी में सहरी और इफ्तार का वक्त और कुछ दुआएं शामिल की जाती हैं मगर आरएसी की इस ख़ास जंत्री में कई और बातें भी शामिल की गई हैं। मिसाल के तौर पर रोज़े की पाबंदी और मस्जिदों में जमाअत के साथ नमाज़ अदा करने जैसी हिदायतों के साथ-साथ सोशल मीडिया से दूर रहने की ताकीद भी की गई है। इसके अलावा बच्चों की तालीम पर ख़ास ध्यान देने, निकाह-वलीमे में फ़िज़ूलख़र्च से बचने, हर तरह के नशे से दूर रहने, पर्दे की ताकीद और बहन-बेटियों की हिफ़ाज़त जैसी बातों की तरफ़ ध्यान दिलाया गया है। आइए जानते हैं इस जंत्री की खास बातें। 

नमाज़-रोज़े की पाबंदी करें
पांचों वक्त की नमाज़ों को उनके वक्तों पर अदा करें। मर्द मस्जिदों में जमाअत से नमाज़ अदा करें। तरावीह तर्क न करें। शरई उज़्र के बग़ैर रोज़ा तर्क न करें। अगर किसी शरई उज़्र की वजह से रोज़ा न रख सकें तो दूसरों के रोज़े का एहतराम करते हुए उनके सामने खाने-पीने से बचें। जैसे ही शरई उज़्र दूर हो रोज़ा रखें। रमज़ान के बाद कज़ा रोज़े जल्द से जल्द रखें।

अक़ीदे की हिफ़ाज़त
इत्तेहाद में बड़ी बरकत है। आपस में मिलजुल कर रहें। किसी रिश्तेदार या दोस्त से ताल्लुक़ तर्क है तो जल्द से जल्द साफ़ दिल के साथ बहाल करें। इत्तेहाद के मामले में अक़ीदे की हिफ़ाज़त का ख़ास ख्याल रखें। याद रखें कि ईमान को ख़तरे में डालने का नाम इत्तेहाद नहीं। इस पुरफ़ितन दौर में मसलक-ए-आला हज़रत अक़ीदा-ए-अहल-ए-सुन्नत की पहचान है। इस पर सख्ती के साथ क़ायम रहें।

तालीम पर ध्यान दें
इस्लाम में अपनी ज़रूरत के मसाइल सीखने को फर्ज़ क़रार दिया गया है, लिहाज़ा दुनियवी तालीम के साथ-साथ बच्चों को दीनी तालीम ज़रूर दें। दीन समझने-समझाने के लिए बुज़ुर्गों की लिखी किताबें पढ़ें और इलाक़े के उलेमा से राब्ता करें। इंटरनेट और सोशल मीडिया पर आधी-अधूरी जानकारी लेकर अपना ईमान और अक़ीदा ख़तरे में न डालें।

सोशल मीडिया पर एहतियात बरतें
सोशल मीडिया से जितना मुमकिन हो उतना दूर रहें। सिर्फ़ कामकाज की ज़रूरत हो तभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें मगर उसमें भी शरीअत के उसूलों का ख्याल रखें। घंटों सोशल मीडिया पर गुज़ारने के बजाय इबादत और ज़रूरी जायज़ कामों में वक्त लगाएं, इंशाअल्लाह बरकत हासिल होगी।

फिज़ूलखर्च से बचें
निकाह और वलीमा के अलावा ग़ैरज़रूरी रस्मों से बचें। हल्दी और मेहंदी जैसी रस्मों पर अपनी मेहनत की कमाई बर्बाद न करें। यहां तक कि निकाह और वलीमा में भी फ़िज़ूलख़र्च से बचें। इस्लाम में शादी बहुत आसान रखी गई है। इसे अपने लिए और दूसरों के लिए मुश्किल न बनाएं। इसी तरह बर्थडे और शादी की सालगिरह पर फ़िज़ूलख़र्च न करें।

हर तरह के नशे से दूर रहें
इस्लाम में हर तरह का नशा हराम क़रार दिया गया है। सिर्फ़ शराब ही नहीं, सुल्फ़ा, चरस, अफ़ीम, सूंघने वाला नशा, हेरोइन वग़ैरह तमाम तरह के नशे हराम हैं। बच्चों को नशे की ख़राबियों के बारे में आगाह करें। अपने-अपने इलाक़ों में कमेटियां या टीमें बनाकर नशे की बुराई से लोगों को बचाएं।

बहन-बेटियों की हिफ़ाज़त पर ध्यान दें
इस पुरफ़ितन दौर में बहन-बेटियों की इज्ज़त पर और भी ज्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। इस मामले में सबसे पहला काम पर्दे की अहमियत समझना है। हया रहेगी तो इज्ज़त रहेगी। बच्चियों को स्कूल-कॉलेज भेजें तो उनके आने-जाने का इंतज़ाम शरीअत के अहकाम के मुताबिक़ करें। शैतान के शर से बचाने के लिए उन्हें मौजूदा हालात से वाक़िफ़ कराते रहें ताकि वो अलर्ट रहें और उनका ईमान और पूरे घराने की इज्ज़त ख़तरे में न पड़े। वहीं हिंदुस्तान भर में आरएसी की सभी इकाइयों को अपने अपने ज़िलों के टाइम टेबल के हिसाब से जंतरी छपवा कर बटवाने के निर्देश दिया गया है। 

इस मौके पर मुफ्ती उमर रज़ा, हाफिज इमरान रज़ा, मौलाना सलीम रज़ा, मौलाना कमरुज्जमा, मुफ्ती इमरान रज़ा, मौलाना सद्दाम रज़ा, मौलाना आरिफ रज़ा, मौलाना अहमद हसन आसवी, मौलाना रफी, हाफिज नईम अख्तर, मौलाना आकिब रज़ा, मौलाना अजहर, हाफिज आरिफ, हाफिज आलम बरकाती, अब्दुल हलीम खान, अब्दुल लतीफ कुरैशी, ताज खान, सईद सिब्तैनी, मोहम्मद जुनैद, हाजी समीर उद्दीन, रेहान यार खान, रजब अली साजू, आसिफ अली, राशिद अली, साजिद रज़ा, शाहबाज रज़ा, तनवीर रज़ा, राशिद रज़ा, सय्यद नासिर अली, चांद बाबू सायटेड, कैसर अली, शान मोहम्मद, शबाब हुसैन,अनवर रज़ा, अजहर अली, नायब रज़ा, अनीस अहमद, मोहम्मद जीशान मोहम्मद, शहनवाज़ रज़ा, शहाबुद्दीन, शाहनूर अकरम, अजहरी आरिफ, रज़ा ताजुद्दीन, मुंशी बक्श, अफजल अली, राशिद खान, तालिब रज़ा, फैय्याज अहमद, अय्यूब हुसैन, बुंदन खान, जुनैद आलम, जाहिद हुसैन, अब्दुल सलाम, सुहैल खान, मोहम्मद अहमद, मुस्तकीम खान, अली खान, मास्टर जिलेदार खान, सज्जाद हुसैन, मोहम्मद नूर हसनैन,  खुश नबी, शरीफ मियां, इशाकत अल्वी, मोहम्मद इजहार, इमरान काशिफ, शहज़ाद, फारूक शेख, इसराइल रज़ा, मोहम्मद इकरार, फुरकान रज़ा, जिया उर रहमान, शोएब रज़ा, मोइद रज़ा, मोहम्मद चांद, उस्मान रज़ा, उवैस खान, इरशाद रज़ा, सहित बड़ी संख्या में बरेली सहित रामपुर शाहजहांपुर बदायूं के उलेमा, मस्जिदों के इमाम और आरएसी पदधिकारी मौजूद रहे। 

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