Chaitra Navratri 2023 Day 4 : चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन आज, ऐसे करें मां कूष्‍मांडा की पूजा, जानिए पूजाविधि, भोग और मंत्र

Navratri 2023 - Day 4 : नवरात्रि के चौथे दिन देवी के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा होती है। देवी कूष्मांडा आदिशक्ति का वह स्वरूप है जिनकी मंद मुस्कान से इस सृष्टि ने सांस लेना आरंभ किया, यानी इस सृष्टि का आरंभ किया। देवी कूष्मांडा का निवास स्थान सूर्यमंडल के बीच में माना जाता है। देवी का तेज ही इस संसार को तेज बल और प्रकाश प्रदान करता है। देवी कूष्मांडा मूल प्रकृति और आदिशक्ति हैं। जब सृष्टि में चारों तरफ अंधकार फैला था। उस समय देवी ने जगत की उत्पत्ति की इच्छा से मंद मुस्कान किया इस सृष्टि में अंधकार का नाश और सृष्टि में प्रकाश फैल गया। कहते हैं कि देवी के इस तेजोमय रूप की जो भक्त श्रद्धा भाव से भक्ति करते हैं और नवरात्रि के चौथे दिन इनका ध्यान करते हुए पूजन करते हैं उनके लिए इस संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता है। माता अपने भक्त की हर चाहत को पूरी करती हैं और भोग एवं मोक्ष प्रदान करती हैं।

मां कूष्मांडा का स्वरूप और शक्ति
इस दिन उपासक का मन अनाहत चक्र में उपस्थित रहता है जो हृदय के मध्य स्थित होता है। इस देवी की उपासना के लिए भक्तों को हल्के नीले रंग के वस्त्रों को धारण करना चाहिए। जो इस चक्र को जागृत करने में सहायक होता है। मां कूष्मांडा के स्वरूप के बारे में कहा जाता है कि यह अष्ट भुजाओं वाली देवी हैं। इनकी भुजाओं में बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल शोभा पाते हैं। वहीं दूसरी भुजा में वह सिद्धियों और निधियों से युक्‍त माला धारण करती हैं। मां कूष्‍मांडा की सवारी सिंह है।

देवी कूष्मांडा का ध्यान मंत्र
देवी कूष्मांडा का ध्यान करते हुए भक्तों को बोलना चाहिए 'या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥' जबकि देवी की पूजा में समस्त वस्तु, ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥ नाम से अर्पित करना चाहिए।

मां कूष्मांडा की पूजा विधि
भक्तों को चाहिए कि सुबह स्‍नानादि से निवृत्त होकर देवी कूष्मांडा का ध्यान करे। इसके बाद दुर्गा के कूष्‍मांडा रूप की पूजा करें। पूजा में मां को लाल रंग के पुष्‍प, गुड़हल या गुलाब अर्पित करें। इसके साथ ही सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य भी माता को चढ़ाएं। माता के इस स्वरूप का ध्यान स्थान अनाहत चक्र है इसलिए देवी की उपासना में अनाहत चक्र के मिलते रंग जो हल्का नील रंग है उसी रंग के वस्त्रों को धारण करे। इससे माता के स्वरूप में ध्यान लगाना आसान होगा।

माता कूष्मांडा के लिए भोग और प्रसाद
देवी कूष्मांडा को कुम्हरा यानी पेठा प्रिय है। देवी की प्रसन्नता के लए आप सफेद पेठे के बलि दे सकते हैं। इसके साथ ही देवी को मालपुए और दही हलवे का भोग लगाएं। इस तरह आप देवी कूष्मांडा की कृपा का लाभ पा सकते हैं।

देवी कूष्मांडा की पूजा के लाभ
देवी कूष्मांडा की साधना और पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है। देवी अपने भक्तों को हर संकट और विपदा से निकालकर सुख वैभव प्रदान करती हैं। साथ ही जो देवी कूष्मांडा की भक्ति करते हैं माता उसके लिए मोक्ष पाने का मार्ग सहज कर देती हैं। माता के भक्तों में तेज और बल का संचार होता है। इन्हें किसी प्रकार का भय नहीं रहता है।

ये भी पढ़ें : Chaitra Navratri 2023 : प्राचीन श्रीदुर्गा मंदिर में सच्चे मन से आराधना करने पर मैया करती हैं हर मुराद पूरी, लगा रहता है भक्तों का तांता 

Related Posts

Post Comment

Comment List