किडनी की बीमारी झेल रहे मरीजों का इलाज संभव, डायलिसिस से बचा सकती हैं दवायें

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें कहा गया है कि साल 2030 तक किडनी की बीमारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरेगी। जित रफ्तार से किडनी रोग बढ़ रहा है, वह स्थिति काफी खतरनाक है, इस बिमारी की चपेट में आने से बहुत से लोगों की जान जा रही है,लेकिन होम्योपैथी में किडनी की गंभीर बीमारी झेल रहे मरीजों का इलाज पूरी तरह से संभव है। बशर्ते समय पर मरीज डॉक्टर के पास पहुंच सके और उसका इलाज शुरू हो सके। मरीज को डायलिसिस पर जाने से बचाया जा सकता है। यह जानकारी डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने दी।

डॉ.अर्चना बताती हैं कि किडनी की बीमारी झेल रहे मरीज को डायलिसिस से बचाना ही उनका मिशन है। इसके लिए वह लगातार काम कर रही हैं। इसके बेहतर परिणाम भी दिखाई पड़ रहे हैं, कई मरीजों का क्रेटिनिन लेवल अपने सामान्य स्तर पर आ गया है और मरीज अपने रोजमर्रा के काम भी आसानी से कर रहे हैं। सही डाइट और होम्योपैथी की दवाओं के बल पर मरीज को एक सामान्य जिंदगी जीने में कोई दिक्कत नहीं आती है।

वह बताती है कि किडनी की बीमारी लोगों की जान जाने का अहम कारण बन रही है। इतना ही नहीं इस बीमारी से पीड़ित शख्स का परिवार आर्थिक रूप से भी परेशान हो रहा है। ऐसे में होम्योपैथी की दवायें मरीज का जीवन बचाने में कारगर साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जिन मरीजों की क्रेटिनिन 9 के करीब पहुंच गई है। मरीज किडनी फेल होने की तरफ बढ़ रहा है, ऐसे मरीजों को भी डायलिसिस से बचा कर उनकी जिंदगी बचाई जा सकती है। डॉ. अर्चना के मुताबिक एक बार डायलिसिस शु़रू हो गई। उसके बाद किडनी को पुरानी स्थित में लाना मुश्किल हो जाता है।

किडनी की बीमारी को पहचानें

डॉ. अर्चना ने बताया कि अनियमित जीवनशैली और खान पान में घोर लापरवाही के कारण लोगों में किडनी की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। किडनी की बीमारी से बचने के लिए सभी लोगों को खून और युरीन की जांच वर्ष में एक बार जरूर करानी चाहिए। यह काफी सस्ती जांचे हैं। इन जांचों से समय रहते बीमारी का पता चल सकता है और जिंदगी बच सकती है। यदि किसी को लंबे समय से खांसी, उल्टी, भूख न लगना, कमजोरी, थकना या फिर सांस फूलने की दिक्कत है तो उन्हें अपनी जांच जरूरी करानी चाहिए।

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