प्रयागराज: 44 साल के अपराधिक इतिहास में पहली बार अतीक अहमद को मिली सजा

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Published By Jagat Mishra
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1979 में दर्ज हुआ था पहला आपराधिक मुकदमा 

प्रयागराज, अमृत विचार। चालीस साल से अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह रहे माफिया अतीक अहमद को उमेश पाल के अपहरण के केस में पहली बार सजा सुनाई गई है। इसके पहले किसी भी मुकदमे का ट्रायल पूरा ना हो सके, इसके लिए वह कोर्ट में अर्जी पर अर्जियां देता रहता था। जिले के शातिर अपराधी अतीक अहमद के खिलाफ यूं तो 101 मामले दर्ज हैं, जिसमें से 50 मामलों का कोर्ट में ट्रायल चल रहा है। सजा देने में इतना समय इसलिए लगा, क्योंकि अतीक और उसके गैंग के खिलाफ दर्ज मुकदमों में गवाह पलटते रहे। उसके खिलाफ दर्ज 14 मुकदमों में अब तक कई गवाह मुकर चुके हैं। 4 मुकदमे सरकार वापस ले चुकी है और 12 मुकदमों में ट्रायल अभी तक हो नहीं पा रहा है। 

अतीक का अपराधिक इतिहास बहुत लंबा है। उस पर पहला केस 1979 में दर्ज हुआ था, लेकिन सजा 44 साल बाद मिली है। पहली ही सजा में उसे उम्र कैद हो गई है।मुकदमों के साथ ही राजनीतिक रूप से उसका रुतबा भी बढ़ता गया। 1989 में वह पहली बार विधायक हुआ तो जुर्म की दुनिया में उसका दखल कई जिलों तक हो गया। 1992 में पहली बार उसके गैंग को आईएस 227 के रूप में सूचिबद्ध करते हुए पुलिस ने अतीक को उसके गिरोह का सरगना घोषित कर दिया गया। 1993 में लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड ने अतीक को काफी कुख्यात किया। गैंगस्टर एक्ट के साथ ही उसके खिलाफ कई बार गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी की गई। एक बार तो उसपर एनएसए भी लगाया जा चुका है। अतीक का खौफ इतना था कि उसके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज करने की हिम्मत नहीं करता था। अगर कर भी दिया तो बाद में गवाह मुकर जाते थे। कई बार वादी ने ही लिखकर दे दिया कि उसने अतीक के खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज कराया था। इस तरह सैकड़ों केस हुए, जिसमें अतीक का कहीं नाम ही नहीं आया। 

सालों बाद राजू पाल हत्याकांड में अतीक का सीधा नाम आया तो उसके बुरे दिन शुरू हो गए। अगले ही साल राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह रहे उमेश पाल का अपहरण कर अतीक ने मुसीबत मोल ले ली।गौरतलब है कि उमेश पाल ने पांच जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में उस समय सांसद रहे अतीक अहमद, उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, दिनेश पासी, खान सौकत हनीफ, अंसार बाबा के खिलाफ अपहरण कर विधायक राजू पाल हत्याकांड मामले में अपने पक्ष में बयान देने का आरोप लगाया था। धूमनगंज पुलिस ने उमेश पाल की तहरीर पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 364, 323, 341, 342, 504, 506, 34, 120बी और अपराधिक विधि संशोधन अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की। इसके अलावा सरकारी नौकरी करते हुए माफिया के लिए काम करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है। ऐसे अधिकारियों, कर्मचारियों के फोन सर्विलांस पर ले लिए गए हैं। इससे पहले 26 पुलिस कर्मियों को माफिया की मदद करने के आरोप में हटाया जा चुका है। 

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ सहित 10 आरोपियों को एमपी/एमएलए कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने अतीक अहमद, खान शौकत हनीफ अधिवक्ता और दिनेश पासी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बाकी सात आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। अतीक अहमद समेत तीनों दोषियों को 364 ए में दोषी करार दिया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला अधिवक्ता संघ ने अधिवक्ताओं से एमपी/एमएलए कोर्ट में उपस्थित ना होने का अनुरोध किया, जिससे माहौल सामान्य बना रहे।

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