लखनऊ : मनरेगा पर 1742.10 करोड़ बाकी, काम प्रभावित

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Published By Virendra Pandey
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जनवरी से जॉबकार्ड श्रमिकों को नहीं मिली 539 करोड़ मजदूरी

 निर्माण सामग्री, कुशल श्रमिक व कर समेत 1202.71 करोड बाकी

प्रशांत सक्सेना

लखनऊ, अमृत विचार। काम के साथ समय पर भुगतान न होने के कारण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की स्थिति बदहाल होती जा रही है। जिससे विकास कार्य प्रभावित होने के साथ श्रमिकों का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो मनरेगा पर 1742.10 करोड़ रुपये की बकायेदारी हो गई है। जो केंद्र से बजट न मिलने के कारण बढ़ती जा रही है। सबसे ज्यादा हालत जाबकार्ड श्रमिक परिवारों की खराब है। जिन्हें जनवरी से किए गए कच्चे-पक्के कार्यों की मजदूरी नहीं मिली है। जो 539.39 करोड़ रुपये से अधिक है। इसी तरह कुशल श्रमिक (मिस्त्री), निर्माण सामग्री यानी मैटेरियल व कर समेत 1202.71 करोड़ रुपये बाकी है। इस मामले पर अपर आयुक्त मनरेगा से संपर्क नहीं हो सका।

होली पर श्रमिकों की बजाय मैटेरियल का हुआ था भुगतान

होली में मैटेरियल का कुछ भुगतान किया गया था। इसके बाद बजट नहीं आया। इससे मैटेरियल का कुल 1075.42 करोड़ बकाया है। जबकि त्योहार पर श्रमिकों के लिए बजट नहीं आया था। समय पर बजट न आने के कारण जिलों में कार्य भी प्रभावित हैं और श्रमिकों का योजना से मोहभंग हो रहा है।

अब श्रमिकों को मिलेंगे 230 रुपये

केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में जॉबकार्ड श्रमिकों का 17 रुपये श्रम बढ़ाया है। इससे अप्रैल में काम करने पर 230 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलेंगे। हर वर्ष बढ़ोतरी की जाती है।

इन वर्षों में ये बढ़ी मजदूरी

वर्ष             धनराशि
2016-17             160
2017-18             175
2018-19             182
2019-20             200
2020-21             201
2021-22             204
2022-23             213
(लागू नए वित्तीय वर्ष से)


श्रमिकों ने बताई परेशानी
मनरेगा में काम किया था। डेढ़ माह से अधिक समय बीत गया है। लेकिन, भुगतान नहीं हुआ है। इससे भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है। अक्सर देरसबेर रुपये मिलते हैं। जिससे दैनिक खर्चे नहीं चल पाते हैं।
- भोला, कुशल श्रमिक, बीकेटी लखनऊ।

मनरेगा में काम करते हैं, लेकिन भुगतान जनवरी से नहीं मिला है। इससे परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। होली पर भी भुगतान नहीं हुआ था। समस्या का सामना करते आ रहे हैं।
- संतोषा, श्रमिक, ग्राम कठवारा, बीकेटी, लखनऊ

योजना ठीक है। इससे गांव में काम मिलता है। लेकिन भुगतान समय पर नहीं होता है। डेढ़ माह से बकाया है। कैसे भरण-पोषण करें। इसलिए बाहर काम तलाशते हैं।
- संतराम, श्रमिक, ग्राम डींगुरपुर, बीकेटी, लखनऊ।

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