लखनऊ: व्यक्तिगत दावों में खरी नहीं उतरीं ''बिछी'' फसलें, अब क्रॉप कटिंग पर टिकी फसलों की क्षतिपूर्ति

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Published By Deepak Mishra
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बारिश व ओलावृष्टि से गिरी फसलों के स्वीकार नहीं हुए दावे

लखनऊ, अमृत विचार। फसलों पर पहले कुदरत और अब बीमा कंपनी के मानकों ने पानी फेर दिया है। प्रदेश में ओलावृष्टि, बारिश और हवा से ज्यादातर गेहूं, सरसों व अन्य फसलें खेतों पर बिछने यानी गिरने से बर्बाद हुई हैं। इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है। फसलों का बीमा कराए किसानों ने 72 घंटे के अंदर क्षतिपूर्ति के लिए व्यक्तिगत दावे किए थे, लेकिन मानकों के अनुसार खेतों पर बिछी फसलें मान्य नहीं हैं। ऐसी स्थिति में कंपनी की तरफ से ज्यादातर व्यक्तिगत दावे निरस्त करना बताया जा रहा है। जबकि इस बार फसलों को नुकसान गिरने से हुआ है और यह बर्बादी का मानक क्षतिपूर्ति में नहीं है।

100 प्रतिशत देनी होती क्षतिपूर्ति, इसलिए बचते
बीमित फसलों में ओलावृष्टि, आकाशीय बिजली, भूस्खलन, बादल फटना, अग्निकांड या अन्य आपदा की स्थिति में किसानों को 72 घंटे के अंदर ट्रोलफ्री नंबर पर कॉल कर क्षतिपूर्ति के लिए व्यक्तिगत दावा करना होता है। लेकिन, कंपनी क्लेम बचाने के लिए व्यक्तिगत दावे निरस्त कर देती हैं। क्योंकि व्यक्तिगत दावों में नुकसान मिलने पर 100 प्रतिशत धनराशि देनी होती है। इससे कंपनी घाटे में चली जाती है। इसलिए क्राप कटिंग यानी फसलों की कटाई पर जोर देती है। जिसमें उपज के आधार पर जितना नुकसान उतना क्लेम देती हैं। क्राप कटिंग भी कुछ ही गांव की करती हैं।

निदेशक की सख्ती से दौड़ने लगे लेखपाल
नुकसान या क्राप कटिंग के दौरान लेखपाल क्षेत्र में न जाकर घर या कार्यालय में बैठकर कई साल से उपज के आंकड़े भरते आ रहे हैं। जबकि उन्हें खर्च से लेकर सभी संसाधन दिए गए हैं। इधर, हाल में आईं निदेशक सांंख्यिकी एवं फसल बीमा सुमिता सिंह ने इस बात का संज्ञान लिया है और उनकी सख्ती पर लेखपाल गांव-गांव दौड़कर नुकसान का आंकलन कर रहे हैं।

कृषि विभागों को नहीं दी कॉल व सर्वे रिपोर्ट
कुछ बीमा कंपनियों ने टोलफ्री नंबरों पर दर्ज व निरस्त शिकायतों की रिपोर्ट व उनके द्वारा किए गए सर्वे की जिले के कृषि विभाग को रिपोर्ट नहीं दी है। जिसमें लखनऊ भी शामिल है। इस कारण यहां के अधिकारियों को कंपनी के कार्याें की जानकारी नहीं है। जबकि कई बार रिपोर्ट मांग चुके हैं। उप निदेशक कृषि डॉ. एके मिश्रा ने बताया कि शिकायतें कंपनी के पास दर्ज हुई हैं। जिसकी पूरी रिपोर्ट मांगी है।

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