Hanuman Jayanti 2023 : लंका दहन के बाद यहां आए थे हनुमान, आज भी निकल रहा है बाईं भुजा से जल 

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Published By Jagat Mishra
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अमृत विचार, चित्रकूट। पूरे देश में आज हनुमान जयंती मनाई जा रही है। आज हम आपको बताते हैं कि हनुमान जी लंका दहन के बाद कहां पहुंचे थे जहां आज भी उनकी मूर्ति से जल का प्रवाह लगातार हो रहा है। ये स्थान है चित्रकूट। पौराणिक महत्त्व की ये स्थली रामायण काल के कई प्रसंगों की गवाह रही है। इस तीर्थक्षेत्र के हनुमान धारा तीर्थस्थल पर रोज हजारों श्रद्धालु पहुँचते हैं ,लेकिन आज के दिन का विशेष महत्त्व है। 

मुख्य पुजारी राजेंद्र प्रसाद तिवारी के साथ यहां की जिम्मेदारी दस पुजारी संभालते हैं। तीर्थक्षेत्र में 14 वर्ष के वनवास काल में भगवान राम ने साढ़े 11 वर्ष बिताए थे। ऐसे में मप्र और उप्र में बंटे सीतापुर (चित्रकूट) में तीर्थस्थलों की कमी नहीं। चित्रकूट में मप्र सीमांतर्गत नयागांव अंतर्गत स्थित हनुमान धारा का अपना महात्म्य है। यहां मंगलवार और शनिवार को भक्त उमड़ते हैं। हनुमान जयंती पर तो इस तीर्थस्थल पर हजारों श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। पर्वत में स्थित हनुमान मंदिर छटा निराली है। हनुमान जी की मूर्ति पर बाईं भुजा में लगातार जलप्रवाहित होता रहता है। शीतल जल का पहाड़ की चोटी से अनवरत प्रवाह होता है। इसी जल को लोग श्रद्धापूर्वक पीकर जीवन धन्य बनाते हैं। हनुमानजी को स्पर्शकर बहने की वजह से इस धारा का नाम हनुमान धारा पड़ा। माना जाता है कि जल पीने से मान्यताएं पूरी होती हैं। धारा का जल पाताल तक जाता है, जिससे इसे पाताल गंगा भी कहते हैं।

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तीर्थक्षेत्र से जुड़ी हैं कथाएं
प्रचलित कथा है कि प्रभु राम का जब राज्याभिषेक हुआ तो हनुमान जी ने भगवान से कहा कि लंका दहन के बाद से ही उनको तीव्र ऊष्मा और गर्मी का अनुभव हो रहा है। इस पर भगवान राम ने उनको चित्रकूट में विंध्य पर्वत जाने का सलाह दी। हनुमानजी ने यहां आकर आराधना की, जिसके बाद पर्वत से एक शीतल जलधारा उत्पन्न हुई, जिससे उनको शीतलता का अनुभव हुआ। एक अन्य कथा भी प्रचलित है, जिसके अनुसार लंकादहन के बाद हनुमानजी की पूंछ की आग बुझाने के लिए प्रभु राम ने एक पर्वत पर तीर मारा था, जिससे जलधारा फूट पड़ी थी।

यहीं पर है सीता रसोई
हनुमान धारा के 150 सीढ़ी ऊपर जाने पर सीता रसोई स्थित है। पुजारी ने बताया कि भगवान राम के वनवास के दौरान पांच मुनि आए थे, जिनको सीताजी ने यहां पर कंदमूल फल खिलाए थे।

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साल में दो बार मनती है हनुमान जयंती
साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है। यह चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है और फिर कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भी भगवान हनुमान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि चैत्र माह की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ था और कार्तिक माह में उनका विजय अभिनंदन दिवस मनाया जाता है।

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