लखनऊ: मंडी कर्मियों के मेहनत की कमाई पर ''ससपेंस', रिटायर होने के बाद कम मिल रही धनराशि

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। मंडी परिषद के अधीन कर्मचारियों के अंशदायी भविष्य निर्वाह निधि खाता (सीपीएफ) में करोड़ों रुपये के गोलमाल की आशंका है। इस खाते में जो धनराशि जमा की जा रही उतनी रिटायर होने के बाद कर्मियों को नहीं मिल रही है। रिटायर होने के बाद ऐसे कई कर्मचारियों ने कटौती की शिकायतें आईजीआरएस पर दर्ज कराई हैं। यह खेल करीब 10 साल से चल रहा है। जिसका समाधान जिम्मेदार अधिकारी नहीं कर पाए हैं।

दरअसल, मंडी कर्मियों को पेंशन नहीं मिलती है। उनके सीपीएफ खाते खुलवाए जाते हैं। जिसमें विभाग खुद व कर्मचारी के वेतन से आधी-आधी धनराशि काटकर जमा करता है। जो रिटायर होने के बाद कर्मियों को भुगतान की जाती है। लेकिन, धनराशि में बड़ा अंतर है। जो ससपेंस खाते में जा रही है।

कर्मचारियों की पासबुक के आधार पर भुगतान
सीपीएफ खाते की एक पासबुक कर्मचारी तो दूसरी बैंक के पास होती है। जो कर्मी बराबर अपनी पास बुक अपडेट नहीं करा पाते अंतर उन्हीं की धनराशि में है। जबकि मंडी परिषद से जमा हाेने वाली धनराशि बैंक पासबुक में अपडेट रहती है। लेकिन, रिटायर के समय कर्मचारियों की पासबुक के आधार पर बैंक भुगतान करतीं हैं। जिसे नियमावली के तहत बताया जा रहा है। उस समय संबंधित कर्मचारी का खाता बंद हो जाता है। बाद में जब धनराशि में अंतर आता है तो बैंक ब्याज समेत बढ़ी हुई धनराशि ससपेंस खाते में भेज देती हैं। जो कर्मियों न देकर निर्माण व अन्य मदों में खर्च करने की बात कही जा रही है।

इस तरह के मामले हैं तो बैंक से बात करनी होगी। हालांकि ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। कर्मचारी यदि शिकायत करते हैं तो उनका बैंक के माध्यम से समाधान करेंगे। धनराशि बैंक में ही रहती है ...शिवेन्द्र कुमार मिश्रा, वित्त नियंत्रक, मंडी परिषद उप्र।

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