संभल: सील तोड़कर संचालित मिला अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर
अधिकारियों ने फिर किया सील, पांच के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज, गवां में अल्ट्रासाउंड सेंटर पर डिप्टी कलेक्टर, एसीएमओ और डीएसओ ने मारा छापा
संभल/रजपुरा, अमृत विचार। गवां में डिप्टी कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से छापेमारी की। इस दौरान सरकारी सील तोड़कर अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित मिला। अधिकारियों ने अल्ट्रासाउंड सेंटर और सामान को फिर से सील कर दिया। इसके साथ ही दो संचालकों समेत पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर कराई गई है।
गवां में संभल चौराहे पर स्थित एसके डायग्नोस्टिक सेंटर को स्वास्थ्य विभाग ने सील कर दिया था। शनिवार को उसके फिर से संचालित होने की सूचना मिली। इस पर डिप्टी कलेक्टर पराग माहेश्वरी, नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी डॉ.पंकज कुमार विश्नोई, जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ.मनोज चौधरी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर पहुंचे। वहां एक महिला अल्ट्रासाउंड करा रही थी। सेंटर पर मौजूद कर्मचारियों से भी जानकारी ली गई और उनके बयान भी दर्ज किए। बताया गया कि अल्ट्रासाउंड सेंटर दो बार सील किया जा चुका है। संचालक सरकारी सील तोड़कर फिर से संचालित कर लेता है। इतना ही नहीं लोगों को भ्रमित करने के उद्देश्य से यहां शिखर अल्ट्रासाउंड सेंटर गवां बबराला बाईपास रोड तहसील गुन्नौर का रजिस्ट्रेशन लगा रखा है। जबकि इसकी वैधता 2020 में ही समाप्त हो चुकी है। अधिकारियों ने अल्ट्रासाउंड सेंटर को अवैध मानते हुए सील कर दिया।
मशीनें जब्त कर पुलिस को सौंपीं
रजपुरा, अमृत विचार : टीम ने अल्ट्रासाउंड सेंटर से मशीन, लैपटॉप, दूसरे सेंटर का सर्टिफिकेट, दो जैली, रजिस्टर, सात पर्ची, कर्मचारी के बयान, बैग व लेटर पैड को सील करते हुए पुलिस की सुपुर्दगी में दे दिया।
जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ.मनोज चौधरी ने रजपुरा पुलिस को तहरीर दी। इसमें सेंटर संचालक ओमप्रकाश राणा निवासी हसनपुर व मुनेश कुमार निवासी कैला देवी, यहां काम करने वाले राजा, कुनाल और नबिदा निवासी गवां के खिलाफ पीसीपीएनडीटी एक्ट और आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है।
पत्रकार बनकर रौब गांठता था संचालक
रजपुरा, अमृत विचार। फर्जी अल्ट्रासाउंड सेंटर को लेकर पता चला कि संचालक खुद को पत्रकार बताकर अफसरों पर रौब गांठता था ताकि उस पर कार्रवाई की कोई हिम्मत न कर सके। शनिवार को जब टीम छापेमारी करने गई तो संचालक के चैंबर में एक समाचार पत्र के बैनर पोस्टर देखकर कदम ठिठक गए। बाद में उस अखबार से जुड़े लोगों से जानकारी की गई। तब पता चला कि संचालक ने फर्जी तरीके से फ्लैक्स लगा रखा था।
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