जयशंकर ने पनामा में भारतीय समुदाय को दी जानकारी, बोले- ‘हम सूडान में फंसे भारतीयों को बचाना चाहते हैं’
पनामा सिटी। भारत ने युद्धग्रस्त देश सूडान से अपने नागरिकों की निकासी और उन्हें सुरक्षित वापस ले जाने के लिए ‘ऑपरेशन कावेरी’ शुरु किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पनामा में भारतीय समुदाय को यह जानकारी दी। जयशंकर सोमवार को गुयाना से पनामा पहुंचे। उन्होंने राष्ट्रपति नीटो कोटिजो से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से उनका व्यक्तिगत शुभकामना संदेश दिया। उन्होंने मंगलवार को यहां भारतीय समुदाय से मुलाकात की और पनामा में एक हिंदू मंदिर भी गए।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पनामा शहर के हिंदू मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लेकर सुबह की शुरुआत की और उत्साही भारतीय समुदाय से मिल रहा हूं। उनके प्यार और देश के प्रति समर्पण को देखकर अत्यंत अभिभूत हूं।’’ भारतीय समुदाय के साथ अपनी बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने सूडान में फंसे भारतीयों और उन्हें सुरक्षित निकालने के सरकार के प्रयासों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी यहां पनामा में हूं। मैं पिछले कुछ दिनों से गुयाना में था।
हालांकि, मेरा दिमाग सूडान में है। हम वहां ‘ऑपरेशन कावेरी’ को अंजाम दे रहे हैं, जिसके तहत हम सूडान में फंसे भारतीयों को निकालना और बचाना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें वापस लाने या किसी अन्य देश में स्थानांतरित करने और उनकी सुरक्षित निकासी के लिए काम कर रहे हैं।’’ जयशंकर ने सूडान में सेना और आरएसएफ के बीच सत्ता संघर्ष को लेकर भीषण लड़ाई में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए सोमवार को ‘ऑपरेशन कावेरी’ अभियान शुरू करने की घोषणा की थी। यूक्रेन में फंसे भारतीयों को लाने के लिए भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन गंगा’ शुरू किया था और कोरोना वायरस संकट के दौरान दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए ‘वंदे भारत मिशन’ शुरू किया गया था।
भारत ने अफ्रीकी देश सूडान में संघर्ष विराम जारी रहने के बीच मंगलवार को नौसैनिक जहाज आईएनएस सुमेधा की मदद से सूडान से 278 भारतीयों के पहले जत्थे को निकाला और अपने शेष फंसे हुए नागरिकों के लिए आवश्यक राहत सामग्री पहुंचाई। जयशंकर ने कहा कि उन्हें यह जानकर ‘‘हैरानी’’ हुई, जब उन्हें बताया गया कि 60 साल में पहली बार कोई भारतीय विदेश मंत्री पनामा का दौरा कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात से हैरान था कि क्या आपकी ओर से प्रयास में कमी रही या आपका निमंत्रण पर्याप्त उत्साहजनक नहीं था...।’’ भारत और पनामा के बीच राजनयिक संबंध 1962 में स्थापित हुए थे। जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने पनामा का दौरा किया है। उन्होंने ‘‘पूरा भरोसा जताया कि भविष्य में भारत के और अधिक प्रतिनिधि देश का दौरा करेंगे।’’
पूर्व उपराष्ट्रपति नायडू ने मई 2018 में पनामा सिटी का दौरा किया और लेखी ने मई 2022 में देश का दौरा किया। जयशंकर ने पनामा के राष्ट्रपति लॉरेंटिनो कॉर्टिजो और विदेश मंत्री जनैना तेवाने मेंकोमो के साथ अपनी मुलाकात के बारे में भी बताया। जयशंकर ने समुदाय के साथ बातचीत में बताया कि पनामा के राष्ट्रपति ने कहा कि डिजिटल, स्वास्थ्य सेवा, समावेशन और बुनियादी ढांचे से संबंधित विकास सहित भारत में हो रहे बदलावों की वैश्विक प्रासंगिकता है। उन्होंने कहा कि भारत और पनामा में रह रहे भारत के लोगों के बारे में पनामा के राष्ट्रपति के विचार सुनकर उन्हें खुशी हुई। जयशंकर ने कोविड-19 महामारी और इसने दुनिया को कैसे प्रभावित किया, इस बारे में भी बात की।
पनामा की अपनी यात्रा के बाद जयशंकर कोलंबिया जाएंगे, जहां वे देश के कई शीर्ष नेताओं से मिलेंगे और अपने कोलंबियाई समकक्ष अल्वारो लेवा डुरान के साथ द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेंगे। जयशंकर सोमवार को गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली के साथ एक भारत निर्मित नौका के जलावतरण कार्यक्रम में शामिल हुए, जो संपर्क बढ़ाने के साथ साथ देश के दूरदराज के इलाकों में आवाजाही की सुविधा और आर्थिक अवसर प्रदान करेगी। जयशंकर गुयाना, पनामा, कोलंबिया और डोमिनिक गणराज्य की नौ दिवसीय यात्रा पर हैं। विदेश मंत्री के रूप में इन लातिन अमेरिकी देशों और कैरेबियाई देशों की यह उनकी पहली यात्रा है।
भारत ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम करेगा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि ऊर्जा तथा खाद्य सुरक्षा शायद मौजूदा सबसे बड़ी दो तात्कालिक वैश्विक चुनौतियां हैं जिनका अल्प विकसित देश (साउथ) सामना कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत इन समस्याओं के समाधान के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम करेगा। जयशंकर ने मंगलवार को उन्होंने यहां चौथी भारत-एसआईसीए मंत्रिस्तरीय बैठक में हिस्सा लिया। सेंट्रल अमेरिकन इंटीग्रेशन सिस्टम (एसआईसीए) मध्य अमेरिकी देशों का एक आर्थिक और राजनीतिक संगठन है। बैठक में जयशंकर ने मजबूत संबंध बनाने और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय तथा बहुपक्षीय मंचों पर भारत का समर्थन करने के लिए एसआईसीए की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा शायद मौजूदा दो सबसे बड़ी तात्कालिक वैश्विक चुनौतियां हैं जिनका सामना कम विकसित देशों को (साउथ) करना पड़ रहा है। दीर्घकालिक कदमों की बात करें तो प्राथमिकताएं खाद्य तथा ऊर्जा सुरक्षा से कहीं आगे बढ़कर हैं जिनमें वृद्धि, व्यापार, निवेश, रोजगार विकास और गरीबी कम करना शामिल है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘ मैं आपको आश्वासन देता हूं कि भारत (इस दिशा में) काफी कुछ करेगा और हम इसे खासतौर पर हमारे विशेष संबंधों में देखना चाहेंगे।’’ जयशंकर ने कहा कि भारत का यह भी मानना है कि मोटे अनाज के वैश्विक उत्पादन के पर्याप्त विस्तार में स्थायी आधार पर खाद्य सुरक्षा से निपटने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘‘ केवल खाद्य सुरक्षा ही नहीं बल्कि पोषण सुरक्षा भी इससे सुनिश्चित होगी क्योंकि यह आयरन, विटामिन और सूक्ष्म पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है।’’ जयशंकर ने कहा कि 2023 भारत के लिए बेहद खास वर्ष है क्योंकि वह जी20 अध्यक्षता कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ जी20 में हमारा मंत्र ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है और हम एसआईसीए में भी यही भावना लेकर आए हैं।’’
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