पीलीभीत: फर्जी डिग्री और लाश का इलाज करने में घिरे चिकित्सक हुआ दोषमुक्त
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिनव तिवारी ने दोनों पक्षों को सुनकर सुनाया फैसला, अगस्त 2019 में सुनगढ़ी थाने में एसीएमओ ने लिखाई थी एफआईआर, अस्पताल हुआ था सील
पीलीभीत, अमृत विचार: नामचीन चिकित्सक की फर्जी डिग्री और लाश का इलाज करने के नाम पर एक लाख रुपये की ठगी के चार साल पुराने बहुचर्चित मामले में न्यायालय ने फैसला सुनाया। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिनव तिवारी ने सुनवाई के बाद अभियुक्त डॉ.योगेंद्र नाथ मिश्रा को दोषमुक्त कर दिया। अदालत के निर्णय के बाद गंभीर आरोपों में घिरे चिकित्सक को बड़ी राहत मिली है।
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अभियोजन कथानक के अनुसार तत्कालीन एसीएमओ पीलीभीत डा.विजय बहादुर राम की ओर से 03 अगस्त 2019 को सुनगढ़ी थाने में तहरीर दी गई थी। जिसमें बताया था कि डॉ.योगेंद्र नाथ मिश्रा ने पंडित मैकूलाल वीरेंद्र नाथ हॉस्पिटल एलएच चीनी मिल रोड का पंजीकृत कराया है। इसके साथ उन्होंने अपनी एमएस और एमसीएच की डिग्री यूनिवर्सिटी ऑफ सेशल्स द्वारा प्रदत्त एवं फेलोशिप इन न्यूरो सर्जन का प्रमाण पत्र लगाया।
प्रमाण पत्र केईएम हॉस्पिटल एंड सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज परेल मुंबई का संलग्न किया। फेलोशिप इन न्यूरो सर्जरी के प्रमाण पत्र का सत्यापन कराए जाने उक्त मेडिकल कॉलेज के हेड ऑफ डिपार्टमेंट न्यूरो सर्जरी प्रोफेसर अतुल गोयल ने बताया कि उनकी संस्था ऐसा प्रमाण पत्र देने के लिए न तो अधिकृत है, न ही वह ऐसा प्रमाण पत्र प्रदान कर सकते हैं। इस प्रकार डॉ.योगेंद्र नाथ मिश्रा ने फेलोशिप इन न्यूरो सर्जरी का कूटरचित प्रमाण पत्र तैयार कर स्वयं को न्यूरो सर्जन के रूप में प्रतिरूपित किया है।
जब तक वह अपनी एमसीएच इन न्यूरो सर्जरी व एमएस इन जनरल सर्जरी की डिग्रियों का पंजीकरण स्वयं एमसीआई में नहीं कराते हैं तक तक के लिए उनकी न्यूरो सर्जरी की सेवाएं बाधित की गई। इसके अलावा पूरनपुर कोतवाली के ग्राम सिकराना की निवासी शारदा देवी पत्नी राजू वर्मा ने एक प्रार्थना पत्र दिया है कि उसके पति के साथ छह जून 2019 को दुर्घटना घटित हुई थी। वह उसे लेकर रात्रि दो बजे मैकू लाल अस्पताल गई।
वहां डॉ.योगेंद्र नाथ मिश्रा ने उसके पति राजू को देखकर बताया कि वह 72 घंटे बाद स्थिति बता सकेंगे। पति को भर्ती कर लिया और 40 हजार रुपये जमा कराए। सात जून 2019 को सुबह नौ बजे जब उसके परिजन राजू को देखने गए तो देखा कि पति की दोनों आंखों पर टेप लगा था। जिसे देखकर शक हुआ कि पति अब इस दुनिया में नहीं है। डॉक्टर से बात की गई तो पति को डिस्चार्ज करने से मना कर दिय गया।
आठ जून 2019 को 11 बजे उसके पति को हायर सेंटर रेफर का लेटर बनाकर परिजनों को सौंप दिया। पति के शव का पोस्टमार्टम आठ जून 2019 की शाम छह बजे हुआ। जिसमें मृत्यु का समय 12 से 24 घंटे पहले होना अंकित किया गया। उसके पति की भर्ती काटने के लिए अस्पताल प्रशासन ने 60 हजार रुपये और जमा कराए थे।
इस प्रकार मृत शरीर के डा.योगेंद्र नाथ मिश्रा ने एक लाख रुपये की ठगी की है। इस प्रार्थना पत्र के क्रम में मेडिकल पैनल का गठन किया गया, जिसमें अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि राजू वर्मा की मौत आठ जून 2019 को सुबह 5.30 बजे से पूर्व हो चुकी थी, जबकि मृतक राजू को मैकूलाल अस्पताल से 11.30 बजे हायर सेंटर रेफर किया गया था।
इसके अलावा एक बच्चे की मौत के मामले का भी तहरीर में जिक्र किया गया। यह कहा गया कि डॉ.योगेंद्र नाथ मिश्रा द्वारा मृत व्यक्ति का इलाज करने के बहाने एक लाख रुपया बेईमानी पूर्वक दुर्विनियोग कर हड़प लिया गया है। सुनगढ़ी थाने में मामले में धारा 419,420,406,467,468,471,504,506 आईपीसी में पंजीकृत किया गया।
विवेचना के बाद पुलिस ने डॉ.योगेंद्र नाथ मिश्रा के खिलाफ धारा 419,420,406,504,506 आईपीसी के तहत चार्जशीट 01 दिसंबर 2019 को न्यायालय में दाखिल की। एक फरवरी 2023 को इस मामले में न्यायालय में आरोप विरचित किए गए। दोनों पक्षों को सुनने और पत्रावली का परिशीलन करने के बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिनव तिवारी ने अभियुक्त डा.योगेंद्र नाथ मिश्र को दोषमुक्त कर दिया।
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