सिविल सेवा में लड़कियां

सिविल सेवा में लड़कियां

संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को सिविल सेवा परीक्षा-2022 का परिणाम जारी कर दिया है। सिविल सेवा परीक्षा में लड़कियों का अच्छा प्रदर्शन कोई चौंकाने वाली बात नहीं रही। ऊपर के चार स्थान लड़कियों को मिल जाएं, यह जरूर बड़ी उपलब्धि कही जाएगी, लेकिन लड़कियां यह कारनामा पहले भी कर चुकी हैं।

2014 की सिविल सेवा परीक्षा में भी ऊपर के चारों स्थान लड़कियों ने हासिल किए थे। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब इस कठिन परीक्षा में लड़कियों ने शीर्ष तीन स्थान पाकर सफलता हासिल की हैं। शीर्ष 10 टॉपर्स में से छह लड़कियां हैं। यूपीएससी परीक्षा के नतीजों में इस बार चुने गए कुल 933 अभ्यर्थियों में 320 लड़कियां हैं और ऊपर के 25 स्थानों की बात करें तो उनमें भी 14 लड़कियां हैं।

इस परीक्षा को पास करने के बाद 180 अभ्यर्थी आईएएस बनेंगे जबकि 38 अभ्यर्थी आईएफएस बनेंगे। वहीं 200 अभ्यर्थियों को आईपीएस बनने का मौका मिलेगा। इस प्रतिष्ठित परीक्षा के परिणाम एक बार फिर समाज में महिला शक्ति के उद्घोष का प्रतीक बन गए। चयनित अभ्यर्थियों की आने वाले वर्षों में देश के स्तर पर नीतियों के निर्धारण में ही नहीं उनके क्रियान्वयन में भी अहम भूमिका होती है।

महत्वपूर्ण है कि एक सिविल सेवा के करियर का शुरुआती हिस्सा आमतौर पर ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बीतता है, जिससे उसे स्वास्थ्य, साक्षरता, आर्थिक स्वतंत्रता, जाति और लैंगिक असमानताओं सहित विभिन्न मुद्दों को समझने में सहूलियत मिलती है, जिसमें सुधार या नीतिगत अंतर की आवश्यकता होती है। 

यह सच है कि बीते कुछ वर्षों में सिविल सेवा में लड़कियों की भागीदारी बढ़ी है और वे आगे बढ़कर देश की सेवा कर रही हैं। परंतु सिविल सेवा में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भारत ने लंबा सफर तय किया है। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने अपने कौशल व मेहनत के दम पर अपना स्थान बनाया है, फिर भी अभी स्थिति बराबरी की नहीं है।

इतना ही नहीं, विभिन्न क्षेत्रों में अपना स्थान कायम करने के लिए कई महिलाओं को एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। इन लड़कियों ने बता दिया है कि आने वाला भविष्य हमारा है। यह परिणाम उन लड़कियों को हौसला देगा जो अपने लिए समाज से लड़कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं। वर्षों से महिलाओं ने समाज के अन्याय और पूर्वाग्रह को झेला है। लेकिन आज बदलते समय के साथ उन्होंने अपनी एक पहचान बना ली है, उन्होंने लैंगिक रूढ़ियों की बेड़ियों को तोड़ दिया है और अपने सपनों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मज़बूती से खड़ी हैं।