पंजाब में नशे ने महामारी का रूप ले लिया है: बिशप डॉ पी के सामंतराय

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Published By Ashpreet
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अमृतसर। पंजाब में, विशेष रूप से राज्य के ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों में,बड़े पैमाने पर नशों की लत पर चिंता व्यक्त करते हुए, डायोसिस ऑफ़ अमृतसर (डीओए), चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) ने इस सामजिक बुराई को जड़ से मिटाने के लिए सिनॉडिकल बोर्ड ऑफ सोशल सर्विसेज (एसबीएसएस), सीएनआई, और देहरादून स्थित पुनर्वास केंद्र 'निजात' के साथ सहयोग किया है।

बिशप डॉ पी के सामंतराय ने शनिवार को कहा कि डीओए, सीएनआई, के सोशियो-इकोनॉमिक डेवलपमेंट प्रोग्राम (एसईडीपी) के तत्वावधान के आधीन कलाकारों की एक टीम ने शनिवार को अटारी क्षेत्र के अटलगढ़ गाँव और खेमकरण क्षेत्र के बसरके और सीतो गाँवों में नुक्कड़ नाटकों का मंचन किया। इन कलाकारों को निजात के विशेषज्ञों द्वारा विधिवत रूप से प्रशिक्षित किया गया था।

रंगमंच को अपना हथियार बनाते हुए, डायसिस ने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता फैलाने के लिए नुक्कड़ नाटकों का सहारा लिया है। डायसिस ने अपने व्यसनों पर काबू पाने के इच्छुक व्यसनियों के आत्म-मूल्यांकन में सहायता प्रदान करने के लिए एक प्रश्नावली भी तैयार की है। एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए, बिशप ने कहा कि पंजाब में लगभग सभी आयु वर्ग के लोगों को नशे की लत ने अपनी चपेट में ले लिया है।

पंजाब में इस खतरे ने महामारी का रूप ले लिया है। लोग नशे के अधिमात्रा और आत्महत्या से मर रहे हैं। अपराध दर सर्वकालिक उच्च स्तर पर है। इस खतरे को खत्म करने के लिए गंभीर और ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। डॉ सामंतराय ने कहा,  यीशु मसीह लोगों को उनके पापों से बचाने के लिए इस दुनिया में आए ताकि वे संपूर्ण जीवन का आनंद मान सकें। लेकिन नशे की लत लोगों के उस विशेषाधिकार को छीन रही है।

उन्होने कहा कि पंजाब में नशे के प्रकोप से निपटना कुछ चुनिंदा लोगों का विशेषाधिकार नहीं है। यह उन सभी का कर्तव्य है, जो खुद को पंजाबी कहने में गर्व महसूस करते हैं, क्योंकि किसी न किसी तरह से इस समस्या से सभी की जान जोखिम में पड़ जाती है। 

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