बरेली: नौकरी जाएगी आउटसोर्सिंग स्टाफ की... झेलेंगे मरीज भी
बरेली, अमृत विचार। तीन सौ बेड अस्पताल में कोविड के दौर में आउटसोर्सिंग के जरिए तैनात किए गए स्टाफ की सेवाएं 30 जून को समाप्त करने का अल्टीमेटम शासन से आ चुका है। उनके न रहने पर अस्पताल कैसे चलेगा, यह भी सोमवार को साफ हो गया। कर्मचारी शासन के फैसले के खिलाफ धरना देने लखनऊ गए तो अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा गईं। पूरे दिन मरीज परेशान होते रहे। डॉक्टरों का सिरदर्द भी बढ़ गया।
कोविड शुरू होने के बाद शासन के आदेश पर तीन सौ बेड अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाने के साथ आउटसोर्सिंग के जरिए स्टाफ की तैनाती की गई थी। पिछले साल कोविड के केस शून्य हो गए लेकिन कर्मचारियों की सेवाएं शासन ने बढ़ा दी थीं लेकिन अब 30 जून से इनकी सेवाएं समाप्त करने का आदेश दिया गया है। इससे नाराज कर्मचारी कई दिन से कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। इसका खामियाजा अस्पताल आने वाले मरीजों को हो रहा है। सोमवार को कर्मचारी धरना देने लखनऊ गए तो हालत और खराब हो गई। तीन सौ बेड अस्पताल में भारी संख्या में मरीजों की भीड़ थी, जिसे संभालने के लिए कर्मचारी नजर नहीं आ रहे थे। शोरगुल के माहौल में ओपीडी में बैठे डॉक्टर भी बार-बार झुंझलाते नजर आए।
एआरवी सेंटर पर सिर्फ एक नर्स, बगैर वैक्सीनेशन के लौटे तमाम लोग
जिले में कुत्तों और बंदरों का आतंक होने के कारण तीन सौ बेड अस्पताल के एआरवी सेंटर पर हर दिन सैकड़ों लोग वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं। कई दिनों से यहां लगातार दो सौ से ढाई सौ लोगों के वैक्सीन लगवाने का औसत है। सोमवार को यहां वैक्सीनेशन के लिए सिर्फ एक नर्सिंग स्टाफ ही मौजूद थी। लोग वैक्सीन लगवाने के लिए घंटों इंतजार करते रहे। लंबे इंतजार के बाद भी नंबर नहीं आया तो तमाम लोग झुंझलाकर लौट गए।
शासन से ठेके पर तैनात कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के आदेश आए हैं। पहले भी कर्मचारियों को कई बार अवगत कराया गया था। - डॉ. बलवीर सिंह, सीएमओ
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