विधि आयोग समझे, भाजपा नहीं राष्ट्रहित है महत्वपूर्ण : कांग्रेस

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Published By Om Parkash chaubey
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नई दिल्ली। विधि आयोग के समान नागरिक संहिता को लेकर फिर से विचार विमर्श करने की मंशा से बुधवार को प्रेस नोट जारी किये जाने को लेकर कांग्रेस ने उस पर निशाना साधाते हुए कहा है कि यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजनीतिक महत्वाकांक्षा साधने वाला प्रेस नोट है इसलिए आयोग को समझना चाहिए कि उसके लिए भाजपा नहीं राष्ट्रहित ज्यादा महत्वपूर्ण है।

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कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने आज यहां जारी एक बयान में कहा “भारत के 22वें विधि आयोग ने 14 जून को एक प्रेस नोट के माध्यम से समान नागरिक संहिता पर फिर से विचार-विमर्श करने के अपने इरादे को ज़ाहिर किया है। कानून और न्याय मंत्रालय के प्रेस नोट में दिए एक संदर्भ से स्पष्ट है कि यह पहले भी किया गया था।

ऐसे में विधि आयोग का समान नागरिक संहिता के बारे में फिर से विचार- विमर्श करने का फ़ैसला आश्चर्यजनक है। उसके प्रेस रिलीज़ में ही यह स्वीकार किया गया है कि इसके पहले, 21वें विधि आयोग ने अगस्त 2018 में इस विषय पर एक परामर्श पत्र जारी किया था।” उन्होंने कहा कि सरकार दोबारा यह कदम क्यों उठा रही है इसको लेकर नोट में 'विषय के महत्व, प्रासंगिकता और अदालती आदेशों' जैसे अस्पष्ट संदर्भ या तर्क के अलावा कोई ठोस कारण नहीं बताया गया है।

इस मुद्दे को फिर से उठाने की वास्तविकता बताते हुए उन्होंने कहा कि 21वें विधि आयोग ने इस विषय की विस्तृत और व्यापक समीक्षा करने के बाद पाया कि समान नागरिक संहिता की 'न तो इस स्टेज़ पर आवश्यकता है और न ही वांछित।' ऐसे में इस समय इस मुद्दे को हवा देने का प्रयास मोदी सरकार के ध्रुवीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने और विफलताओं से ध्यान भटकाने का स्पष्ट कारण नज़र आता है।

उन्होंने कहा , “जब भारतीय संस्कृति की विविधता का जश्न मनाया जा सकता है और मनाया जाना चाहिए, तब इस प्रक्रिया में समाज के विशेष समूहों या कमज़ोर वर्गों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए। आयोग ने भेदभावपूर्ण कानूनों को संबोधित करना इस स्टेज़ पर न तो जरुरी है और ना ही वांछित।

आज दुनिया के अधिकांश देश अनेकता की मान्यता की ओर बढ़ रहे हैं और इसका अस्तित्व भेदभाव नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत लोकतंत्र का संकेत है।” कांग्रेस नेता ने कहा कि विधि आयोग राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर दशकों से महत्वपूर्ण काम करता आ रहा हैतथा उसे उस विरासत के प्रति सचेत रहना चाहिए और याद रखना चाहिए कि राष्ट्र के हित भाजपा की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से अलग हैं।

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