बांदा : अपनों की उपेक्षा से आहत बुजुर्ग ने बहू-बेटे की कर दी हत्या
अमृत विचार, बांदा । बुढ़ापा अपने आप में ही एक बड़ी समस्या है। शरीर साथ छोड़ने लगता है, याददाश्त व सहनशक्ति भी कम हो जाती है। बीमारियां भी अलग से घेर लेती हैं। यह सब बुजुर्ग तो किसी तरह झेल लेता है। किंतु अपनों की उपेक्षा का दंश बुजुर्गों को जीने नहीं देता और वे या तो अपनी जान दे देते हैं या अपनों की जान ले भी लेते हैं। कुछ ऐसा ही मामला बांदा जिले में देखने को मिला है। जहां बेटे-बहू व पत्नी की उपेक्षा के शिकार व्यक्ति ने बेटे व बहू की 13 जून को कुल्हाड़ी से वार कर हत्या कर दी।
25 जून यानी रविवार को पुलिस ने खुलासा किया है। हत्यारोपी ने पुलिस को बताया कि कोई उसकी सुनने वाला नहीं था। जमीन, घर पर कब्जा कर लिया गया था। यहां तक कि पत्नी भी उसका साथ नहीं दे रही थी। वह आजकल मायके में हैं। इसी के चलते उसने दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया। पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर कुल्हाड़ी बरामद कर ली है।
ये था मामला
नरैनी कोतवाली क्षेत्र के बरसड़ा मानपुर गांव निवासी मन्नूलाल 13 जून की रात खलिहान में सो रहा था। पिता देशराज(60) ने उसकी कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी। बेटे की हत्या करने के बाद घर पहुंचे देशराज ने आंगन में सो रही बहू चुन्नी देवी की भी कुल्हाड़ी के वार से हत्या कर दी। हत्या करने के बाद आरोपी फरार हो गया था। घटना के बाद पुलिस हत्यारोपी देशराज को गिरफ्तार करने के लिए जगह-जगह दबिश दे रही थी। रविवार को मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने पन्ना जिले के अजयगढ़ के जंगल से आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
आरोप- बहू व बेटे नहीं देते थे खाना
अपर पुलिस अधीक्षक लक्ष्मी निवास मिश्र ने बताया कि देशराज (60) के पास करीब 16 बीघा जमीन है। इस जमीन पर उसका बेटा मन्नूलाल व बहू कब्जा किए हुए थे। जबकि हत्यारोपी उस जमीन को बेचना चाहता था। इतना ही नहीं बेटे व बहू उसे खाना भी नहीं देते थे। उसे अलग रहकर खाना बनाना पड़ता था। उसकी पत्नी भी बहू और बेटे के साथ रहती थी। इसी आवेश में आकर उसने दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया।
वर्तमान समय में फैमिली सिस्टम बहुत ही ज्यादा गड़बड़ होता जा रहा है। पारिवारिक एकता हमारे समाज के लिए एक पिलर की तरह थी, लेकिन अब यही पिलर सुरक्षित नहीं बचा है। स्थिति ये हो चुकी है कि अब लोग सिर्फ अपने-अपने बारे में ही सोचते हैं। जो बुज़ुर्ग माता पिता बच्चों को इतना निस्वार्थ प्रेम करते हैं कि वही अपने बेटे व बहू की हत्या कर दें इस पर जरूर विचार करने की जरूरत है, पहले जो बुजुर्ग हमारे घर की शान हुआ करते थे आज उनको बहु बेटे अपनों से दूर करते हैं और फिर जब उनके बच्चे होते हैं दादा दादी जैसे रिश्ते से भी दूर रहते हैं इस तरह की पीढ़ी तैयार हो चुकी है जो समाज की चेन को भंग कर रही है। अगर पारिवारिक बुनियाद को मजबूत रखना है तो हमें पुराने कल्चर में लौटना होगा।
प्रोफेसर डॉ मानिनी श्रीवास्तव मनोविज्ञान विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय
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