बरेली: जेल में बच्चों को पढ़ा रही है परिवार के सात लोगों की हत्या कराने वाली शबनम
वक्त ने बदल दिया बावनखेड़ी नरसंहार की खलनायिका को, सेंट्रल जेल में रोज लगती है शबनम की क्लास, 13 बच्चों को बनाना चाहती है अधिकारी, 30 महिला बंदी भी करती हैं पढ़ाई, प्रेमी के हाथों कटवा दिया था परिवार के सभी लोगों को
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दिग्विजय मिश्रा,बरेली, अमृत विचार : वक्त खुद बदलता है और हर इंसान को भी बदल देता है। अमरोहा के बावनखेड़ी गांव में 15 साल पहले प्रेमी के लिए अपने परिवार के ही सात लोगों की कुल्हाड़ी से हत्या कराकर देश भर में जानी गई शबनम भी अब बदल गई है। सेंट्रल जेल- 2 में कैद शबनम महिला बंदियों के 13 बच्चों के साथ 30 महिलाओं को भी नियमित रूप से पढ़ा रही है।
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जेल में रोज सुबह नौ से दोपहर एक बजे तक उसका स्कूल चलता है। बच्चों को पढ़ाकर उसने अधिकारी बनाने का लक्ष्य तय कर रखा है। बावनखेड़ी नरसंहार पांच अप्रैल 2008 को हुआ था। अब तक यह अपराध की उन दिल दहला देने वाली घटनाओं में शामिल है, जिसकी मिसाल प्रेम में दीवानी किसी युवती के क्रूर से क्रूर अपराध पर आज तक दी जाती है।
प्रेमी के साथ अपने परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से कटवा देने वाली शबनम लंबे समय तक सुर्खियों में रही थी। काफी समय तक अमरोहा की जेल में रहने के बाद शबनम को मुरादाबाद और रामपुर के बाद कई साल पहले बरेली की सेंट्रल जेल- 2 में शिफ्ट किया गया था। इस बीच उसे फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है और राष्ट्रपति के स्तर से उसकी दया याचिका भी खारिज हो चुकी है।
करीब दो साल पहले बरेली भेजी गई शबनम का जेल प्रशासन अब नया रूप देख रहा है। पिछले साल उसने यहां 30 अशिक्षित महिला बंदियों के साथ उनके 13 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। यह क्रम लगातार चल रहा है।
शबनम का फोकस बच्चों पर रहता है। वह उन्हें अधिकारी बनाना चाहती है। रोज वह उन्हें सुबह नौ से एक बजे तक पढ़ाती हैं। कोई बच्चा इसके बाद भी पढ़ना चाहता है तो पढ़ाती रहती हैं। शबनम की बच्चों को पढ़ाने में दिलचस्पी देखकर जेल प्रशासन ने भी उसे जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई हैं।
नींद में सोते परिवार को काट दिया था कुल्हाड़ी से: शबनम के गांव के ही सलीम से प्रेम संबंध थे। वह गर्भवती हो गई थी और सलीम से शादी करना चाहती थी लेकिन कॉलेज में उसके लेक्चरर पिता शौकत और भाई तैयार नहीं हुए। इसी के बाद शबनम और सलीम ने परिवार के सभी लोगों की हत्या की योजना बनाई।
पांच अप्रैल 2008 को शबनम ने रात में सभी को नींद की दवा मिलाकर चाय पिलाई। गहरी नींद में सोने के बाद सलीम को बुलाया, जिसने उसके पिता शौकत अली, मां हाशमी, बड़े भाई अनीस, अनीस की पत्नी अंजुम, छोटे भाई राशिद और चचेरी बहन राबिया को कुल्हाड़ी से काट दिया। भूल से सलीम के हाथों अनीस का 10 महीने का बेटा अर्श बच गया जिसे बाद में शबनम ने गला दबाकर मार डाला।
डबल एमए है शबनम, प्रेमी था पांचवीं पास: शबनम ने अंग्रेजी और भूगोल विषय से एमए पास किया था और बतौर शिक्षामित्र सरकारी स्कूल में पढ़ाती थी। पठान समुदाय का सलीम 5वीं के बाद पढ़ाई छोड़ चुका था और अपने घर के बाहर लकड़ी काटने की इकाई में काम करता था।
राष्ट्रपति भी खारिज कर चुके हैं शबनम की दया याचिका: अमरोहा सत्र अदालत ने 2010 में शबनम और सलीम को मौत की सजा सुनाई जिसे 2013 में इलाहाबाद हाईकोर्ट और मई 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। अगस्त 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शबनम की दया याचिका भी खारिज कर दी थी।
जनवरी 2020 में मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने भी उसकी मौत की सजा बरकरार रखी। सितंबर 2015 में यूपी के तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक ने भी दया याचिका खारिज कर दी थी।
जेल में शबनम पूरी तरह बदल गई है। वह महिला बंदियों के 13 बच्चों के साथ 30 अशिक्षित महिलाओं को भी पढ़ा रही है। वह बच्चों के पढ़ाकर उच्चाधिकारी बनाना चाहती है। - विपिन कुमार मिश्रा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक, केंद्रीय कारागार-दो
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