हिंसा पर राजनीति
पश्चिम बंगाल में शनिवार को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा पर राजनीति तेज हो गई है। राजनैतिक दल एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। इन घटनाओं से ममता सरकार से लेकर राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) तक की मुश्किल बढ़ गई हैं। भाजपा ने हिंसा के लिए एसईसी और ममता सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। इसके साथ ही बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी है।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने केंद्रीय बल को लेकर सवाल उठाए हैं। टीएमसी ने पूछा कि हिंसा के वक्त केंद्रीय बल कहां थे? इन सबके बीच अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि पंचायत चुनाव में उनके तैनाती वाले बूथों पर कोई हिंसा नहीं हुई है। एसईसी राजीव सिन्हा ने हिंसा की घटनाओं के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री के साथ मिलकर चुनाव को नष्ट कर दिया।
बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो गई है। हालांकि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। 2003 में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा में 76 लोगों की मौत हुई थी। अकेले मतदान वाले दिन 40 लोग मारे गए थे। पिछले महीने चुनाव की घोषणा से चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं में कम से कम 35 लोग मारे जा चुके हैं। इससे पहले 2018 के चुनाव में इतनी ही संख्या में लोगों की मौत हुई थी।
2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से राज्य में भाजपा प्रमुख विपक्षी दल बन चुकी है। पहले जहां कांग्रेस या टीएमसी के बीच हिंसा के आरोप-प्रत्यारोप लगते थे अब वे आरोप भाजपा व तृणमूल कांग्रेस के बीच लगने लगे हैं। रविवार को राज्यपाल ने उत्तर 24 परगना और नादिया के कुछ हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। राज्यपाल ने कहा कि उन्हें बताया गया कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से हत्याओं और हिंसा की खबरें आ रही हैं।
चुनाव आयोग चुप क्यों है? राज्यपाल का यह कहना गलत नहीं है कि पंचायत चुनाव कराने की जिम्मेदारी राज्य चुनाव आयुक्त की थी मगर उन्होंने अपने कर्तव्य का सही तरीके से पालन नहीं किया। सवाल है कि केन्द्रीय बलों के साये में भी अगर हिंसा नहीं रुक पाई तो इससे आगे क्या हो सकता है? सवाल यह भी है कि पंचायतों के चुनाव में हिंसक वारदातें हुईं जिनके लिए कोई तो जिम्मेदार होगा ही। यह भी तय है कि जिम्मेदार राजनैतिक दल ही हैं जो पंचायतों के चुनावों को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना रहे हैं।
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