हल्द्वानी: ऑनलाइन कबाड़ी, जब मर्जी तब बेचिए...रेट को लेकर कोई चिकचिक भी नहीं...

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Published By Bhupesh Kanaujia
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भूपेश कन्नौजिया, हल्द्वानी, अमृत विचार। शायद आपको याद होगा कि भोपाल के द कबाड़ीवाला का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जनवरी 2023 को मन की बात कार्यक्रम में जिक्र किया था। पीएम ने द कबाड़ीवाला के ई-वेस्ट को रिसाइकल करने के काम की सराहना की थी।
 

वर्ष 2015 में अनुराग असाटी ने अपने मित्र कवींद्र रघुवंशी के साथ द कबाड़ीवाला डॉट काम की शुरुआत की थी। उस समय लोग कबाड़ को लेकर जागरूक नहीं थे। दरअसल अनुराग ने द कबाड़ीवाला डॉट कॉम नाम से ऑनलाइन कबाड़ बेचने वाली एप का निर्माण किया और उसके बाद देखते ही देखते इस एप के यूजर बढ़ते गए।

अपने एक इंटरव्यू में अनुराग ने बताया था कि लोग एप पर उनसे कबाड़, रद्दी बेचने के लिए संपर्क करते हैं, जहां पर उनकी गाड़ी जाती है और इलेक्ट्रानिक तराजू से कबाड़, रद्दी को तौल कर भुगतान कर देती है। आम लोगों के साथ ही बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री टाटा, अडाणी जैसी भी उनके कस्टमर हैं।

 ठीक इसी तर्ज पर हल्द्वानी डहरिया निवासी पेशे से इंजीनियर लोकेश गुणवंत ने शहर में एक कबाड़ का स्टार्टअप शुरू किया है, जहां वो ऑनलाइन कबाड़ की खरीदारी कर रहे हैं।

स्क्रेपडोर एप अगर आपको कबाड़ बेचना है तो घर बैठे स्क्रैपडोर एप पर ऑनलाइन कबाड़ बेच सकते हैं। लोकेश की यह एप भी अनुराग असाटी की एप की तरह ही काम करती है। 


कबाड़ को किया गया उसकी कैटेगरी के हिसाब से लिस्ट

कबाड़ की कैटेगरी और उसकी प्राइस भी अपलोड किए गए हैं। जहां कबाड़ बेचने वालों को अन्य कबाड़ी की तुलना में अधिक रेट मिलता है। इसके अलावा एप के माध्यम से लोगों को स्क्रैप डोर टीम के स्वच्छता अभियान से भी जोड़ा जाता है। इस एप को बनाने का मकसद पर उनका कहना है कि नौकरी पेशा वाले व्यक्ति समय के अभाव में अपने घरेलू कबाड़ को नहीं बेच पाते हैं, ऐसे में अगर कोई कबाड़ बेचना चाहता है तो एप में अपना डिटेल डाल सकते हैं, जिसके बाद टीम के सदस्य उक्त व्यक्ति से फोन पर संपर्क कर उसके समय की सुविधा के अनुसार कबाड़ उठा लेते हैं और जो भी राशि होती है उसका भुगतान एप के वॉलेट में आ जाता है। जिसका प्रयोग रोजमर्रा की चीजों पर जैसे फोन, ब्राडबेंड बिल, रिचार्ज, बिजली, पानी का बिल आदि अदा करने में किया जा सकता है।


बायो मेडिकल वेस्ट और निगम के साथ टाईअप करने को चल रही बात
स्क्रैपडोर की टीम में तकरीबन 20 सदस्य हैं जो इससे जुड़े हुए हैं और धीरे-धीरे रोजगार के आयाम बनते जा रहे हैं। जल्द ही बायो मेडिकल वेस्ट और फिर नगर निगम से भी इस एप के संबंध में बात कर इसे बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि शहर में साफ-सफाई के साथ रोजगार पैदा किया जा सके।

टीम लीडर के रूप में गरिमा मेहता, करन फर्त्याल और अमित जोशी सहित 10 युवा शामिल हैं जिनका सपना है कि वे इस एप को धीरे-धीरे पूरे जिले और फिर उत्तराखंड के हर हिस्से में सर्विस देने योग्य बनाएं। फिलहाल इस एप के उपयोगकर्ताओं की लिस्ट दिनों दिन बढ़ती जा रही है जिससे इन युवाओं के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही है।

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