मिर्जापुर: विंध्यवासिनी के दरबार में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लगायी हाजिरी

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Published By Deepak Mishra
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मिर्जापुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को विंध्य क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी मां विंध्यवासिनी देवी का दर्शन पूजन किया और काली एवं अष्टभुजा देवी के दर्शन कर विश्व प्रसिद्ध त्रिकोण परिक्रमा पूर्ण की। भागवत संत मिलन यात्रा कार्यक्रम में गुरुवार को ही यहां आ गए थे। 

इससे पहले उन्होंने सत्तेशगढ आश्रम में संत अड़गड़ानंद महाराज से मिल कर आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त की। गुरुवार शाम को वे मां विंध्यवासिनी देवी के तलहटी में स्थित प्रसिद्ध संत देवरहवा बाबा आश्रम में हंस बाबा के सानिध्य में रहे।
यही रात्रि विश्राम भी किया।

संघ प्रमुख मोहन भागवत की धार्मिक कार्यक्रमों की शुरुआत शुक्रवार सुबह की। सबसे पहले उन्होने आश्रम में स्थित हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की जिसे काशी से आए ग्यारह पंडितों द्वारा सम्पादित कराया गया। उन्होंने महाबली हनुमान जी को इक्यावन मन बूंदी के लड्डू का भोग लगाया। सारी तैयारियां पहले से कर ली गई थी।

सुबह नौ बजे मां विंध्यवासिनी देवी के दर्शन पूजन किए। यहां के सारे धार्मिक अनुष्ठान भाजपा विधायक एवं मां के दरबार के पुरोहित रत्नाकर मिश्र एवं उनके परिजनों द्वारा कराया गया। हाल के दिनों में उनकी यह चौथी यात्रा थी। छह माह के भीतर दूसरी बार हनुमान पूजा और मां विंध्यवासिनी देवी दरबार में मत्था टेका है। उन्होंने पहली बार त्रिकोण परिक्रमा पूर्ण की है।
यहां जिला प्रशासन की ओर उनका स्वागत किया गया।

जिलाधिकारी दिव्या मित्तल एवं पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्र सहित सारे आला अफसर मौजूद थे। मां विंध्यवासिनी देवी के चित्र को स्मृति चिन्ह के रूप में उन्हें भेंट किया गया बुके और अंगवस्त्र से उनका स्वागत किया गया। सारे धार्मिक कार्यक्रमों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। संघ प्रमुख मोहन भागवत की देवरहवा बाबा आश्रम में स्थित हनुमान जी की और मां विंध्यवासिनी देवी के प्रति अटूट आस्था है। 

संघ प्रमुख को जब भी समय मिलता है, वे अवश्य मां के दरबार में हाजिरी लगाने में देर नहीं करते हैं। मोहन भागवत यहां आधा दर्जन बार आ चुके हैं। वे खुद कहते हैं कि यहा आने पर अशीम शांति मिलती है साथ ही साथ शक्ति का संचार होता है। संघ प्रमुख के दो दिवसीय प्रवास के दौरान भाजपा के जनप्रतिनिधि एवं कार्यकर्ताओं को दूर रखा गया था। कुछ चुनिंदा स्वयं सेवको को ही प्रवेश दिया गया था।

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