प्रयागराज : 88 करोड़ रुपए के फर्जी जीएसटी आईटीसी मामले में आरोपी को मिली जमानत
अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित तौर पर 92 फर्जी जीएसटी फॉर्म बनाने और 88 करोड़ रुपए के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) पारित करने में शामिल व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि गिरफ्तारी ज्ञापन में यह कहीं भी उल्लिखित नहीं है कि याची ने क्या अपराध किया है।
याचिका में केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 69 को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी गई थी। याची की ओर से तर्क दिया गया था कि यह प्रावधान मनमाना है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के दायरे से बाहर है, साथ ही उक्त धारा के तहत की गई उसकी अवैध गिरफ्तारी को रद्द करने की भी मांग की गई थी।
गौरतलब है कि संबंधित विभाग ने याची को कथित तौर पर 88 करोड़ रुपए का हेरफेर करने वाला मास्टरमाइंड बताया। 16 फर्मों के परिसरों की तलाशी से पुष्टि हुई है कि याची उक्त कार्य के परिचालन में सम्मिलित नहीं था। याची का भी कहना है कि आपत्तिजनक साक्ष्यों के आधार पर उसकी गिरफ्तारी हुई है। यहां तक की रिमांड आवेदन, जो अपराध के घटित होने पर विश्वास करने के लिए कारण बनाने के आरोप का वर्णन करता है यानी 'गिरफ्तारी की आवश्यकता' बताता है, उसमें भी कोई स्पष्ट कारण अंकित नहीं है।
इस पर मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मेरठ निवासी आशीष कक्कड़ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि विभाग के आचरण से लग रहा है कि वह अपने द्वारा की गई पूछताछ से संतुष्ट हैं और याची से आगे की पूछताछ में उनकी कोई रुचि नहीं है। हालांकि कोर्ट ने याची को जमानत देते हुए निर्देश दिया कि याची हर संभव तरीके से जांच में सहयोग करें और अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर जब भी आवश्यकता हो, जांच टीम के सामने स्वयं प्रस्तुत हो जाए।
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