कमी लाने की रणनीति विफल, बरेली और शाहजहांपुर में बढ़ीं दुर्घटनाएं

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Published By Vishal Singh
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शाहजहांपुर में 13.17 प्रतिशत हादसे और 28.22 प्रतिशत मृतकों की संख्या में वृद्धि

राकेश शर्मा/बरेली, अमृत विचार। सड़क दुर्घटनाओं और इनमें होने वाली मौतों की संख्या में कमी लाने की रणनीति विफल साबित हो रही है। बरेली, शाहजहांपुर हो या राज्य की राजधानी लखनऊ समेत अन्य सभी जिले में तेजी से बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। यही वजह है कि ब्लैक स्पॉटों का सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्णय के बाद जिलों में गठित सड़क सुरक्षा समितियों की बैठकों के एजेंडों में भी बदलाव किया गया है।

जनवरी से मई तक राज्यभर में 5.5 प्रतिशत दुर्घटनाओं और मृतकों की संख्या में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि होने पर मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने भी माना है कि जिलों की सड़क सुरक्षा समितियां सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के नियमों का अनुपालन नहीं करा रही हैं। इसलिए दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों में अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है। बरेली मंडल में सड़क दुर्घटनाओं की बात करें तो इस वर्ष बरेली में जनवरी से जून तक 636 हादसों में 269 मौतें हुईं हैं, जबकि 2022 में 485 हादसों में 241 मौतें हुईं थीं। इस बार 31.23 प्रतिशत हादसों और 11.61 प्रतिशत मृतकों की संख्या में वृद्धि दर्ज हुई है। शाहजहांपुर में जनवरी से जून तक 425 हादसों में 233 मौतें हुईं हैं, जबकि 2022 में 369 हादसों में 167 मौतें हुईं थीं। यहां 13.17 प्रतिशत हादसों और 28.22 प्रतिशत मृतकों की संख्या में वृद्धि हुई है। बदायूं और पीलीभीत जनपद में हादसों के साथ मृतकों की संख्या में भी कमी दर्ज की गई है।

वर्ष 2022 और 2023 के छह महीने में हुए हादसे और मौतें
बरेली में 2022 में जनवरी में 72 हादसे और 29 मौतें, जबकि 2023 में जनवरी में 81 हादसे, 33 मौतें हुईं। करीब 12.50 प्रतिशत हादसे और 13.80 प्रतिशत मृतकों में वृद्धि हुई है। फरवरी 2022 में 44 हादसे, 24 मौतें और 2023 में 106 हादसे, 34 मौतें। इसमें 140.6 प्रतिशत हादसों और 41.70 प्रतिशत मृतकों में वृद्धि हुई है। मार्च 2022 में 89 हादसे, 43 मौतें और 2023 में 129 हादसे, 58 मौतें, इसमें 44.90 प्रतिशत हादसे, 34.90 प्रतिशत मृतकों की संख्या में वृद्धि हुई है। अप्रैल 2022 में 80 हादसे, 38 मौतें और 2023 में 101 हादसे, 41 मौतें, इसमें 26.30 प्रतिशत हादसे और 7.90 प्रतिशत मृतकों में वृद्धि हुई है। मई 2022 में 105 हादसे, 57 मौतें, 2023 में 110 हादसे, 53 मौतें, 14.7 प्रतिशत हादसों में वृद्धि लेकिन मृतकों में 7.0 प्रतिशत की कमी आई थी। जून 2022 में 95 हादसे, 50 मौतें और 2023 में 109 हादसे, 50 मौतें, 14.7 प्रतिशत हादसों में वृद्धि हुई।

पिछले की तुलना में पीलीभीत और बदायूं में सड़क दुर्घटनाओं में आई कमी
पीलीभीत में जनवरी से जून तक 215 हादसे व 114 मौतें हुई हैं। जबकि 2022 में 235 हादसे और 125 मौतें हुई थीं। इस तरह 9.30 प्रतिशत हादसों व 9.64 प्रतिशत मृतकों की संख्या में कमी दर्ज की गई है। बदायूं में जनवरी से जून तक 266 हादसे व 172 मौतें हुई थीं। 2022 में 277 हादसे व 187 मौतें हुई थीं। 4.13 प्रतिशत हादसों व 8.72 प्रतिशत मृतकों की संख्या में कमी दर्ज की गई है।

राज्यभर में सड़क दुर्घटनाओं के ये हैं प्रमुख कारण- ओवर स्पीडिंग में 39.5 प्रतिशत।

- पुअर विजिविलिटी/ड्राइवर के थके व नींद में होने, ट्रैफिक का पालन न होने 30 प्रतिशत।

- गलत साइड ड्राइविंग से 12.7 प्रतिशत।

- मोबाइल फोन के प्रयोग से 9.7 प्रतिशत।

- शराब के नशे में ड्राइविंग से 6.2 प्रतिशत।

( हादसों के ये प्रतिशत के आंकड़े जनवरी से मई 2023 के हैं)

पिछले साल की तुलना में पांच माह में 5.5 प्रतिशत राज्य में बढ़ गईं दुर्घटनाएं
राज्यभर में सड़क दुर्घटनाओं की बात करें तो जनवरी से मई तक पिछले साल की तुलना में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल 50 प्रतिशत मृतकों की संख्या में कमी लाने की जो रणनीति बनाई गई थी वह विफल हो गई और मृतकों की संख्या में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। दुर्घटनाओं के आंकड़ों के विश्लेषण से मालूम हुआ है कि सर्वाधिक दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर 40 प्रतिशत, राज्य मार्गों पर 30 प्रतिशत, एक्सप्रेस-वे पर 1.5 प्रतिशत हुई हैं।

मुख्य सचिव ने जारी की चिट्ठी...बोले-एजेंडा बिंदु व कार्यवृत्त में एकरूपता लाएं
मुख्य सचिव ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों को 27 जुलाई को चिट्ठी जारी करते हुए कहा है कि स्टेट लीड एजेंसी (सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ) परिवहन विभाग की ओर से निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया के तहत जिलों में बैठक का आयोजन करें और निर्धारित एजेंडा बिंदुओं पर समीक्षा करें। एजेंडा बिंदु और उनके कार्यवृत्त में एकरूपता होने से ही सड़क दुर्घटनाओं व मृतकों की संख्या में कमी लाने की दिशा में व्यापक समीक्षा की जा सकेगी। इसी के तहत दुर्घटनाओं व मृतकों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

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