Kanpur News : चार साल से चिड़ियाघर जेल में कैद आदमखोर मल्लू, स्वभाव में बदलाव न आने के कारण काट रहा सजा

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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कानपुर के चिड़ियाघर में बीते चार साल से आदमखोर मल्लू कैद है।

कानपुर के चिड़ियाघर में बीते चार साल से आदमखोर मल्लू कैद है। आदमखोर बाघिन पुष्पा भी सात माह से कैद में है। स्वभाव में बदलाव न आने के कारण अभी भी सजा काट रहे है।

कानपुर, अमृत विचार। चिड़ियाघर में कई आदमखोर जानवरों को कैदियों की तरह रखा जा चुका है, जिनमें से कुछ का बर्ताव सही होने पर उन्हें कैद से आजाद किया जाता है, लेकिन इनमें से बरेली का बाघ मल्लू, एटा की बाघिन पुष्पा में की सजा के बाद भी स्वभाव में बदलाव नही आ सका। इनके आदमखोर हिंसक व्यवहार में कमी नहीं आई जिसके कारण चिड़ियाघर प्रशासन इनकी सजा बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। 

बरेली का आदमखोर नर बाघ मल्लू सात लोगों को मौत का घाट उतार चुका है। वहीं दूसरी तरफ एटा के जंगलों में रहने वाली वाली बाघिन पुष्पा चार लोगों को मौत की नींद सुला चुकी है। वन विभाग व चिड़ियाघर प्रशासन ने मल्लू व पुष्पा को फारेस्ट रेंज से पकड़ा था। जिसके बाद इन्हें यहां चिड़ियाघर भेजा गया था। आदमखोर होने के कारण इन्हें अलग बैरक में रखा गया है।

आदमखोरों के स्वभाव में बदलाव न होने के कारण मल्लू को चार व पुष्पा को एक वर्ष की सजा सुनाई गई थी। इसके तहत इन्हें अलग बैरक और पिंजरे में रखा जाता है। अब सजा का समय पूरा होने के बाद भी इनके तेवरों में कोई बदलाव नहीं आया, जिसके बाद प्राणी उद्यान इनकी सजा बढ़ाने के बारे में विचार विमर्श कर रहा है। 

सजा पूरी होने के बाद भी आदमखोरों के स्वभाव में अब तक कोई बदलाव नहीं हो पाया है। जिस कारण इनकी सजा बढ़ाए जाने पर विचार किया जा रहा है।- डॉ नीतेश कटियार, चिड़ियाघर प्रशासन

मालती के तेवर सुधरे, बाड़े में भेजा गया

वन विभाग ने चार वर्ष पूर्व बरेली के जंगलों से आदमखोर बाघिन मालती को पकड़ा थ। जिसके बाद उसे यहां चिड़ियाघर भेज दिया गया था। डॉ अनुराग सिंह ने बताया कि चार वर्ष की कैद के बाद मालती के स्वभाव में बदलाव आ गया, जिसको देखते हुए उसे शेर प्रशांत के बगल वाले बाड़े में चार माह पूर्व स्थानांतरित किया गया है। अब जनता उसे देख सकती है।

स्वभाव में बदलाव की कैसे होती है जानकारी

चिड़ियाघर के चिकित्सकों के मुताबिक आदमखोर जानवरों को अलग बाड़े या पिंजरे में रखा जाता है। जिनकी देखरेख में एक कर्मचारी को नियुक्त किया जाता है, जो उनको नियमित भोजन पानी मुहैया कराता है। शुरुआती दिनों में आदमखोर जानवर इंसान को देख कर दहाड़ते व पंजे मारता है। हमला करने की कोशिश करता है।

देखरेख में लगे नियमित कर्मचारी को देख कर जब जानवर दहाड़ना व शिकार की मुद्रा में आना बंद कर देता है तो अंदाजा लगाया जाता है कि उसके स्वभाव में बदलाव आ रहा है। उनके स्वभावों को कुछ समय तक परखने के बाद उन्हें दर्शकों के देखने के लिए बाड़े में स्थानांतिरत कर दिया जाता है। अगर स्वभाव नहीं बदलता तो एकांत बैरक में ही रखा जाता है। 

बिजनौर का जग्गू भी है सजायाफ्ता

बिजनौर का तेंदुआ जग्गू जंगलों से निकल कर शहरी क्षेत्र में घुस कर तीन लोगों का शिकार कर चुका है। वह भी यहीं चिड़ियाघर में बंद है। आदमखोर होने के कारण बीते छह माह से जग्गू को कैद में रखा गया है।

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