अभियान : भैया-बहना भूल न जाना - फाइलेरिया से बचाव की दवा जरूर खाना 

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Published By Jagat Mishra
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जिले में 3479 टीम कल से घर घर जाकर खिलाएगी दवा 

बहराइच, अमृत विचार। फाइलेरिया की बीमारी एक बार हो गयी तो इसका इलाज संभव नहीं है। बचाव ही फाइलेरिया से सुरक्षित रहने का एकमात्र उपाय है। फाइलेरिया से बचाव के लिए हर साल की तरह इस बार भी जिले में मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान चलाया जाएगा। 10 से 28 अगस्त तक चलने वाले इस अभियान में 3479 टीमें घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की  दवा खिलाएंगी। दवा का सेवन जरूर करें।

यह बातें बुधवार को नगर के एक होटल में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से आयोजित मीडिया कार्यशाला में सीएमओ डॉ सतीश सिंह ने कहीं। सीएमओ ने कहा कि एमडीए अभियान की सफलता के लिए लोगों का रोग की गम्भीरता व दवा खाने से होने वाले फायदे के प्रति जागरूक होना जरूरी है। आमजन तक यह संदेश पहुंचना चाहिए कि फाइलेरिया से बचाव के लिए पांच साल लगातार साल में एक बार दवा का सेवन जरूर करें। अति गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों, गर्भवती और एक साल से कम उम्र के बच्चों को छोड़कर  दवा का सेवन सभी को करना है। बीपी, शुगर, थायरायड के मरीज अति गंभीर बीमारी की श्रेणी में नहीं आते हैं। 

कार्यक्रम के दौरान सीएमओ ने उपस्थित लोगों को फाइलेरिया उन्मूलन में योगदान देने, खुद दवा सेवन करने और दूसरों को भी दवा सेवन कराने में सहयोग देने की शपथ दिलाई। जिला मलेरिया अधिकारी प्रेम प्रकाश ने कहा कि जिले की कुल आबादी 43,48,546 में से 80 प्रतिशत यानि एक साल के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर बीमार  को छोड़कर 36,96,264 लोगों  को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। अभियान के दौरान 580 पर्यवेक्षक क्षेत्र में नियमित भ्रमणशील रहकर अभियान की निगरानी करेंगे। जिला फाइलेरिया नियंत्रण अधिकारी दीपमाला ने बताया कि बहराइच जनपद में अब तक 412 हाथीपांव व 495 हाईड्रोसील के मरीज समेत कुल 907 मरीज मिले हैं। अब तक हाइड्रोसील के 370 मरीजों का ऑपरेशन किया चुका है तथा शेष लोगों को भी बुलाया जा रहा है।

पाथ संस्था के प्रतिनिधि डॉ अनंत विशाल ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। यह दवा पूरी तरह सुरक्षित है। किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण आते प्रतीत होते हैं, तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। आवश्यकता पड़ने पर आरआरटी को उपचार के लिए तुरंत बुलाया जा सकता है। इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी बृजेश सिंह, सी फॉर से सुशील चौधरी, रवि, राकेश गुप्ता, डीपीएम सरजू खान सहित स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न अधिकारी व यूनिसेफ, सीफार तथा पीसीआई संस्था के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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