थरवई हत्याकांड : वारदात से तीन दिन पहले डकैतों ने की थी रेकी
अमृत विचार, प्रयागराज । बीते रविवार की रात थरवई के हेतापट्टी गांव में हुयी घटना को ग्रामीण और घर के लोग अभी भी दहशत में है। बुधवार को जांच टीम को घायलों के बयान और सीसीटीवी फुटेज से कुछ अहम सुराग मिले हैं। घटना के वक्त आये डकैतों में एक की पहचान पुलिस ने घरवालों के बताने और फुटेज के आधार पर कर ली है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। माना जा रहा है कि एक की गिरफ्तारी होने के बाद सभी पुलिस की गिरफ्त में होंगे।
घरवालों के मुताबिक जिस रात घटना हुयी उसके तीन दिन पहले से उस मकान और दुकान की रेकी की गयी थी। रेकी की जानकारी सीसीटीवी से हुयी है। बताया जा रहा है कि वारदात के समय एक डकैत लंगड़ाकर चल रहा था। लोगों ने आशंका जताते हुए गौर किया तो उनका शक एक व्यक्ति पर गया है। जिसे कई लोग बाजार में कई दिन से घूमता हुआ देखा था। लोगों का अनुमान है कि शायद रेकी किया जा रहा था।
संतोष ने बताया कि घटना के तीन दिन पहले भी किसी ने दरवाजे को खटखटाया था। उस वक्त भाई अशोक ने दरवाजा खोला था। उस वक्त कोई अकेला व्यक्ति आया था। जिसे भाई अशोक ने भगा दिया था। डकैत यह देखना चाहते थे कि खटखटाने पर दरवाजा खुलता है या नहीं।
घटना के पहले बाहर लगे बल्ब को कर दिया था गायब
डकैतों को यह पता लग चुका था कि सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। इसीलिए अशोक के घर के बाहर और रामाबाबू सोनी की दुकान के बाहर लगे बल्व को पहले ही निकाल कर गायब कर दिया गया था। घर और दुकान के बाहर अंधेरा किया गया था।
घरवाले नहीं भूल पा रहे हैं वो खौफनाक रात
संतोष केसरवानी उस खौफनाक रात को नहीं भूल पा रहे हैं। एसआरएन अस्पताल की बेड पर पड़े भाई अशोक और पत्नी आरती को ही निहारते है। संतोष ने बताया कि घटना के दिन आगे बड़े भाई अशोक वाले कमरे में सो रहे थे। जब उनकी नींद खुली तो भाई अशोक बचाने के लिए शोर मचा रहे थे। अशोक ने दरवाजा खोला तभी डकैत अंदर घुस गये। संतोष ने जब भाई को शोर मचाते हुये सुना तो चिल्लाते हुए अपने कमरे से निकले। उस वक्त चार डकैतों ने उन्हें पकड़ लिया। पत्नी आरती ने दरवाजा अंदर से बंद करना चाहा तो उसे भी मारा। डकैतों ने संतोष को मारना शुरू किया तो पत्नी आरती ने कहा सब ले जाओ मगर पति को छोड़ दो। डकैत कमरे में घुसे और अलमारी मे रखे कीमती सामान भर लिए। डकैतों ने दुकान से भी सारा गहना और नकदी समेंट लिए थे।
लोवर और टी-शर्ट में पहुंचे थे डकैत
भाई संतोष ने बताया कि घर के अंदर पहले चार डकैत घुसे। एक डकैत ने लोवर और टीशर्ट पहना हुआ था, चेहरे को बांध रखा था। दूसरे ने हाफ पैंट और टीशर्ट पहनी थी। जबकि तीसरे ने फुल पैंट और शर्ट पहना हुआ था और चौथा नजर के सामने नहीं आया।
डकैतों ने टेप और रस्सी का लिया सहारा
घटना को अंजाम देने के लिए बदमाशों ने पहले से तरकीब लगाई थी। डकैत टेप और रस्सी अपने साथ लेकर पहुंचे थे। क्योंकि घटना में अशोक और संतोष को रस्सी से बांधने के बाद उनके मुंह पर टेप लगाया गया था। आंचल को रस्सी से बांध कर खेत में ले गए थे।
घर में दुबक कर छिपे रहे बच्चे
संतोष ने बताया कि एक डकैत ने उनकी पत्नी का हाथ पकड़ कर अंगूठी खींची थी। जिसमें आरती की उंगली टूट गई। एक डकैत ने बच्चों की हत्या करने को कहा। मगर सरगना ने बच्चों को छोड़ दिया। दोनों बच्चे लक्ष्य और लक्षिका डरे सहमे पूरे दिन कमरे में दुबक कर बैठे रहे।
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