बरेली: उस दिन कोई गरीब-अमीर नहीं, सिर्फ आजाद थे, वरिष्ठ नागरिकों ने आजादी के संस्मरणों को किया साझा 

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Published By Om Parkash chaubey
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बरेली, अमृत विचार : देश की आजादी का जश्न 14 अगस्त की रात 12 बजे से ही मनना शुरू हो गया था। पूरी रात लोग भारत माता की जय के नारे लगाते रहे। 15 अगस्त की सुबह प्रभात फेरियां निकलनी शुरू हो गई थीं। लोग तिरंगा लहरा रहे थे। उस दिन शहर में न कोई अमीर था और न कोई गरीब, सिर्फ आजाद थे। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शहर के वरिष्ठ नागरिकों ने अमृत विचार से आजादी के संस्मरणों को साझा किया।

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बारिश के बीच मनाया आजादी का जश्न: इज्जतनगर के विजय प्रकाश बताते हैं कि उस समय वह 9 वर्ष के थे। लोगों को ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से आजादी की सूचना मिली थी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने एक रैली निकाली, जिसमें वह टोपी लगाकर पहुंचे थे। रैली की शुरुआत में ही बारिश शुरू हो गई थी। बारिश के बाद भी लोगों को उत्साह देखने लायक था।

कई दुकानदारों ने मिठाई के पैसे नहीं लिए थे: कर्मचारी नगर की सावित्री देवी बताती हैं कि आजादी मिलने की खुशी इतनी अधिक थी कि हर कोई उसे अपने-अपने हिसाब से मना रहा था। बड़ा बाजार के कई दुकानदारों ने उस दिन लोगों से बालूशाही, लड्डू और जलेबी के पैसे नहीं लिए थे। शाम तक बूंदी का वितरण होता रहा।

स्कूलों में छात्रों को बांटी गई थी मुफ्त किताबें: सिविल लाइंस निवासी गंगा प्रसाद बताते हैं कि आजादी की लड़ाई में बरेली कॉलेज का अहम योगदान रहा। आजादी मिलने पर कॉलेज में भी खुशी का माहौल था। कॉलेज से जुड़े कुछ लोगों ने स्कूलों में छात्रों काे मुफ्त किताबों का वितरण किया था। मुझे भी किताबें मिली थीं।

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