लकड़ी की मूर्ति पर नक्काशी कला विलुप्त होने के कगार पर, कश्मीर का है एक प्रीमियम कला

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Published By Om Parkash chaubey
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श्रीनगर। मोहम्मद यूसुफ मुरान मूक-बधिर हैं लेकिन हाथों के जादूगर हैं। उनकी लकड़ी पर नक्काशीदार मूर्ति कला का एक नमूना हैं, और अगर उनके रिश्तेदारों की मानें, तो वह कश्मीर में अपनी तरह के आखिरी मूर्तिकार हैं। यूसुफ मुरान के भतीजे मुदासिर मुरान ने बताया, ‘‘हमारा परिवार पिछले 200 वर्षों से इस व्यवसाय में है... यह कश्मीर में एक प्रीमियम कला है।

यह शिल्प महंगा है और केवल उच्च आयवर्ग के ग्राहक ही इसे खरीदते हैं। मेरे चाचा (यूसुफ) एकमात्र जीवित कलाकार हैं जो लकड़ी की नक्काशीदार मूर्तियां बनाते हैं।’’ मुदासिर ने कहा, ‘‘उन्होंने यह शिल्प मेरे पिता से सीखा, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। यह कश्मीर के प्रमुख शिल्प में से एक है। हम इसे मूर्ति नक्काशी कहते हैं जो हाथ से बनाई जाती है।’’

मुदासिर ने कहा, ‘‘भले ही मेरे चाचा अब भी इसमें हैं, लेकिन उन्हें वह नहीं मिलता जिसके वे हकदार हैं। अंत में पैसा मायने रखता है।’’ उन्होंने कहा कि युवा लोगों की इस कला में रुचि कम होने का मुख्य कारण कम वेतन है, भले ही अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी अच्छी मांग है। मुदासिर ने कहा, ‘‘सरकार ने भी शायद ही अपनी भूमिका निभाई हो और इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।’’

उन्होंने कहा कि इस शिल्प में स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपार संभावनाएं हैं लेकिन सरकार गंभीर चिंता दिखाने में विफल रही है। उन्होंने कहा, ‘‘कला के विलुप्त होने के कगार पर होने का एक और कारण यह है कि सरकार प्रभावी सहयोग और हमारे द्वारा पेश किए गए नए विचारों को लागू करने में कम से कम रुचि लेती है।

कोई भी इस कला के बारे में जानने के लिए मेरे चाचा के पास नहीं आया क्योंकि अधिकारियों ने इसे पुनर्जीवित करने के बारे में कोई परवाह नहीं की।’’ लकड़ी पर नक्काशी करने वाले एक अन्य कलाकार गुलाम नबी डार का दावा है कि कम वेतन के कारण उन्होंने भी यह काम छोड़ दिया। डार ने कहा, ‘‘चूंकि कलाकारों को उनकी कला के लिए उचित पैसा नहीं मिला, इसलिए उनके लिए जीवनयापन मुश्किल हो गया।

मेरे जैसे कुछ कलाकार, जिन्होंने मूर्ति कला की इस विरासत को जब तक संभव हो सके जारी रखा, लेकिन अंतत: छोड़ दिया।’’ डार ने कहा, ‘‘इस कला में बहुत समय और कच्चा माल, लकड़ी लगता है। यही कारण है कि कलाकार इस कला को छोड़ रहे हैं और मैं उनमें से एक हूं।’’ डार ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि कला विलुप्त होने जा रही है क्योंकि कोई इसे नहीं सीख रहा है।’’

हस्तशिल्प विभाग कश्मीर के निदेशक महमूद शाह ने कहा कि उन्होंने यूसुफ मुरान को उनके काम के लिए सम्मानित किया है और अन्य कलाकारों को भी इस शिल्प को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि लकड़ी पर नक्काशी कला कई वर्षों से गिरावट में है, लेकिन अब सरकार इसे पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है।

शाह ने कहा, ‘‘हमारे पास एक कलाकार - मुरन हैं जिन्हें हमने हाल ही में सम्मानित किया है और फिर अन्य शिल्पकार हैं जिन्हें हम प्रोत्साहित कर रहे हैं। हम केंद्रों के माध्यम से कला को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं।’’

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