पीलीभीत: मृतक से भी करवा दी मनरेगा मजदूरी, अब हो गए अधिकार सीज...जानिए मामला
पीलीभीत, अमृत विचार। मृतक के नाम पर मनरेगा मजदूरी दर्शा कर दूसरे के खाते में भुगतान करने, फॉगिंग कराए बिना ही उसका भुगतान निकालने समेत कई अन्य आरोपों में दोषी पाए जाने पर ग्राम पंचायत नांद पसियापुर की प्रधान पर शिकंजा कसा गया। ग्राम प्रधान का जवाब संतोषजनक न होने पर डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार ने सख्त एक्शन लिया और प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार सीज कर दिए हैं।अंतिम जांच के लिए कमेटी बना दी गई है।
ललौरीखेड़ा ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत नांद पसियापुर के निवासी छेदालाल, कामता प्रसाद समेत कई ग्रामीणों ने बीते दिनों एक शिकायत पत्र शपथ पत्र के साथ जिलाधिकारी को दिया था। जिसके बाद जिला कार्यक्रम अधिकारी और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अवर अभियंता को जांच दी गई।
टीम ने मौके पर जाकर जांच की और अपनी रिपोर्ट भेजी। ग्राम पंचायत में फॉगिंग और सैनेटाइजिंग कार्य न कराने के आरोपों को लेकर 24 हजार रुपये गबन करने का दोषी पाया गया। मनरेगा में फर्जीवाड़ा कर मजदूरी दर्शा कर बिल भुगतान कराकर गबन करने में 46100 रुपये का गबन पाया गया।
इतना ही मृतक के नाम पर भी मजदूरी दर्शा दी गई थी। इस मामले में भी 46347 रुपये गबन का दोषी पाया गया। इसे लेकर ग्राम प्रधान तरन्नुम बेगम का जवाब तलब किया गया। ग्राम प्रधान की ओर से दिए गए जवाब से अफसर संतुष्ट नहीं हो सके। जिसके बाद शिकंजा कसते हुए ग्राम प्रधान नांद पसियापुर तरन्नुम बेगम के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार सीज कर दिए गए हैं।
इस मामले की अंतिम जांच अब डीसी मनरेगा और जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के तकनीकी अन्वेशक को दी गई है। जांच टीम को पंद्रह दिन के भीतर आख्या देनी होगी। बीडीओ को भी निर्देश दिए गए हैं कि जांच से संबंधित अभिलेख तीन दिन के भीतर गठित की गई टीम को मुहैया कराए जाए।
ग्रामीणों के द्वारा की गई शिकायत पर जांच कराई गई थी। जिसमें ग्राम पंचायत नांद पसियापुर की प्रधान तरन्नुम को गबन का दोषी पाया गया था। उनका जवाब भी संतोषजनक नहीं मिला। इसी को लेकर वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज कर दिए गए हैं। मामले की अंतिम जांच को कमेटी गठित कर दी गई है--- धर्मेंद्र प्रताप सिंह, सीडीओ।
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