Asian Games 2023 : पदक संख्या बेहतर करके ओलंपिक स्थान हासिल करना चाहेंगे भारतीय मुक्केबाज
हांगझोऊ। भारतीय मुक्केबाज पिछले एशियाई खेलों में जीते गए दो पदकों से सुधरा प्रदर्शन करने के इरादे से रविवार से यहां रिंग में उतरेंगे और इस चरण में तो ओलंपिक स्थान भी दाव पर लगा है तो वे बेहतर करने के लिए और भी ज्यादा उत्साहित होंगे। भारत ने दो बार की विश्व चैम्पियन निकहत जरीन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेला लवलीना बोरगोहेन की अगुआई में मजबूत दल भेजा है। पुरुष वर्ग में भी अनुभवी शिव थापा, दीपक भोरिया और निशांत देव तीनों ही विश्व चैम्पियनशिप के पदक विजेता हैं जिससे वे पेरिस के लिए अपना स्थान सुरक्षित करने के साथ एशियाड पदक भी अपनी झोली में डालना चाहेंगे।
एशियाई खेलों में सात पुरुष औ छह महिला वजन वर्ग हैं। भारत ने पिछले 2018 चरण में एक स्वर्ण और एक कांस्य से दो पदक जीते थे। महाद्वीप से मुक्केबाजों के लिए एशियाड पहला ओलंपिक क्वालीफाईंग टूर्नामेंट हैं जिसमें 13 वजन वर्गों में 34 कोटा स्थान दाव पर लगे होंगे। महिला वर्ग में 50 किग्रा, 54 किग्रा, 57 किग्रा और 60 किग्रा में सेमीफाइनलिस्ट जबकि 66 किग्रा और 75 किग्रा के फाइनलिस्ट पेरिस के लिए क्वालीफाई करेंगे। पुरुष वर्ग के सभी वजन वर्गों में स्वर्ण और रजत पदक विजेताओं को कोटा मिलेगा। महिला वर्ग में पिछले चरण में महिला मुक्केबाज एक भी पदक नहीं जीत सकी थी लेकिन अब 2018 की तुलना में वजन वर्ग दोगुने हो गये हैं।
जरीन और लवलीना के साथ विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता परवीन हुड्डा, राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता जैस्मीन लम्बोरिया और प्रीति पवार ने चुनौती पेश करने के लिये अभी तक अच्छा जज्बा दिखाया है। जरीन तो पिछले दो वर्षों से अद्भुत फॉर्म में हैं, पर उन्हें कठिन ड्रा मिला है जिसमें वह अपने अभियान की शुरुआत दो बार की एशियाई चैम्पियन एनगुयेन थि ताम के खिलाफ करेंगी जो विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल का दोहराव होगा। वह सेमीफाइनल में दो बार की विश्व कांस्य पदक विजेता चुथामत रकसत से भिड़ सकती हैं। लवलीना अभी 69 किग्रा से मिडिलवेट वर्ग की पेचीदगियां सीख रही हैं जिन्हें पहले दौर में बाई मिली है जिससे वह पदक से महज एक मुकाबला दूर होंगी। वह क्वार्टरफाइनल में कोरिया की सियोंग सुयियोन से भिड़ेंगी। जैस्मीन को भी पहले दौर में बाई मिली है, वह सऊदी अरब की अशोर एचजीएस के सामने होंगी।
वहीं सात पुरुष मुक्केबाजों में शिव को ही महाद्वीपीय टूर्नामेंट में खेलने का अनुभव है और छह बार का यह एशियाई चैम्पियनशिप पदक विजेता ओलंपिक कोटा हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध होगा क्योंकि वह तोक्यो में नहीं जा सके थे। उन्हें आासन ड्रा मिला है, जिससे उन्हें फाइनल में पहुंचना चाहिए। वह सेमीफाइनल में चीनी ताइपे के चुएन लाई से भिड़ेंगे। दीपक से भी काफी उम्मीद होंगी जिन्होंने पिछली बार के लाइट फ्लाईवेट चैम्पियन अमित पंघाल को हराकर एशियाड में जगह बनायी। निशांत ने भी अपने मुक्केबाजी कौशल से प्रभावित किया है, पर उन्हें कठिन ड्रा मिला है। वह क्वार्टरफाइनल में 2012 विश्व चैम्पियन जापान के सेवोन ओकाजावा से भिड़ सकते हैं।
टीमें :
महिला : निकहत जरीन (50 किग्रा), प्रीति पवार (54 किग्रा), परवीन हुड्डा (57 किग्रा), जैस्मीन लम्बोरिया (60 किग्रा), अरुंधति चौधरी (66 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (75 किग्रा)।
पुरुष : दीपक भोरिया (51 किग्रा), सचिन सिवाच (57 किग्रा), शिव थापा (63.5 किग्रा), निशांत देव (71 किग्रा), लक्ष्य चाहर (80 किग्रा), संजीत (92 किग्रा), नरेंद्र बेरवाल (+92 किग्रा)।
एशियाई खेलों में भारतीय निशानेबाजों की नजरें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर
भारतीय निशानेबाजों ने हाल ही में संपन्न आईएसएसएफ (अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ) विश्व चैंपियनशिप में उत्साहवर्धक प्रदर्शन कर यह जता दिया कि एशियाई खेलों में उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता है। भारत ने विश्व चैंपियनशिप में छह स्वर्ण और आठ कांस्य सहित 14 पदक जीते लेकिन एशियाई खेलों में देश के निशानेबाजों का प्रदर्शन उनकी क्षमता के मुताबिक नहीं रहा है। चार साल में एक बार होने वाले इन खेलों के शुरू होने के साथ ही एक बार फिर से निशानेबाजी दल से काफी उम्मीदें होगी।
इंडोनेशिया (जकार्ता और पालेमबांग) में 2018 सत्र में भारत ने दो स्वर्ण और चार रजत सहित नौ पदक हासिल किये थे और टीम इस संख्या को बेहतर करना चाहेगी। पिछले आयोजन में इन खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वाले सौरभ चौधरी (10 मीटर एयर पिस्टल) और राही सरनोबत (25 मीटर पिस्टल) जैसे निशानेबाज इस बार भारतीय दल का हिस्सा नहीं हैं। राइफल में संजीव राजपूत, अपूर्वी चंदेला और हीना सिद्धू जैसे दिग्गज टीम में जगह बनाने में नाकाम रहे हैं। भारतीय दल के ज्यादातर निशानेबाज पहली बार इन खेलों का हिस्सा बनेंगे। विश्व चैंपियन 10 मीटर एयर राइफल निशानेबाज रुद्राक्ष पाटिल, ईशा सिंह (10 मीटर एयर पिस्टल), सिफ्ट कौर समरा और आशी चौकसे (50 मीटर राइफल थ्री-पोजिशन्स) टीम में सबसे प्रतिभाशाली संभावनाओं में से कुछ हैं।
इन सभी निशानेबाजों के पास स्वर्ण पदक पर निशाना साधने की क्षमता है लेकिन इसके लिए उन्हें चीन की चुनौती से पार पाना होगा। इन से सबसे ज्यादा उम्मीदें महाराष्ट्र के निशानेबाज रुद्राक्ष से होगी। इस 19 साल के निशानेबाज ने विश्व चैम्पियनशिप के स्वर्ण के साथ 2024 ओलंपिक का कोटा भी हासिल कर लिया है। ओलंपियन दिव्यांश सिंह पंवार और युवा ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर भी अपनी छाप छोड़ने को तैयार हैं। सिफ्ट ने 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन्स में अनुभवी अंजुम मौदगिल को लगातार चुनौती दी है।
स्वप्निल कुसाले ने पिछले साल काहिरा में पेरिस ओलंपिक का कोटा हासिल किया जबकि ऐश्वर्य और अखिल शेओरान भी इस वर्ग में एशिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शामिल हैं। इक्कीस साल की मनु ने पिछले एशियाई खेलों में तीन स्पर्धाओं में चुनौती पेश की थी लेकिन दिव्या टीएस, ईशा सिंह और पलक जैसे निशानेबाजों ने चयन ट्रायल में इस अनुभवी खिलाड़ी को पछाड़ दिया। मनु इन खेलों में सिर्फ 25 मीटर पिस्टल में भाग लेंगी। निशानेबाजी दल को हाल ही में ट्रैप वर्ग में ओलंपिक कोटा हासिल करने वाली अनुभवी राजेश्वरी कुमारी से काफी उम्मीदें होंगी। राजेश्वरी ट्रैप वर्ग में कोटा हासिल करने वाली देश की सिर्फ दूसरी महिला खिलाड़ी है। इस वर्ग में प्रतिभाशाली मनीषा कीर और प्रीति रजक की नजरें भी पदक पर होगी।
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