Allahabad Highcourt : कैदियों की तयशुदा मजदूरी अपर्याप्त, न्यायमित्र देंगे सुझाव 

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Published By Jagat Mishra
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेलों में बंद कैदियों की सरकार द्वारा तय की गई दैनिक मजदूरी को कम मानते हुए दो अधिवक्ताओं को न्यायमित्र नियुक्त किया और उनसे कैदियों की दैनिक मजदूरी तय करने के मामले में सुझाव मांगा है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने बच्चे लाल की ओर से दाखिल आपराधिक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। 

इसके पहले मामले की सुनवाई शुरू होते ही वित्त सचिव एसएमए रिजवी, अपर पुलिस महानिरीक्षक चित्रलेखा सिंह और उप पुलिस महानिरीक्षक अरविंद कुमार सिंह उपस्थित हुए।महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने अधिकारियों की ओर से कोर्ट के पूर्व आदेशानुसार हलफनामा दाखिल कर बताया कि वित्त कमेटी की ओर से जेल में बंद कैदियों के लिए दैनिक मजदूरी तय की गई है। अकुशल कैदियों को 50 रुपए, कुशल कैदियों को 60 रुपए और स्किल्ड कैदियों को 80 रुपए दैनिक मजदूरी देय है। पहले यह दर 25 रुपए, 30 रुपए और 40 रुपए तय थी। कोर्ट के आदेश के बाद इसे संशोधित कर दिया गया है। 

कोर्ट ने तय की गई नई मजदूरी को अपर्याप्त मानते हुए नाराजगी जताई और पूछा कि क्या तय की गई मजदूरी सही है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इतनी कम मजदूरी से क्या कोई भी कैदी अपने परिवार वालों के साथ जुड़ाव बनाए रख सकता है। क्या वित्त कमेटी की बैठक में और अधिक मजदूरी का प्रस्ताव रखा गया था। इस दर को तय करने का क्या आधार है। इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि यह एक नीतिगत मामला है। कमेटी के निर्णयों पर तय किया गया है। कोर्ट ने इन तर्कों को अस्वीकार कर दिया और अधिवक्ता औसिम लूथरा और अर्थव दीक्षित को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया और उनसे सुझाव मांगते हुए कहा कि दोनों अधिवक्ता कैदियों की सम्मानजनक मजदूरी तय करने पर अपनी राय दें। उक्त मामले की अगली सुनवाई आगामी नौ अक्तूबर को सुनिश्चित की गई है।

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