Gandhi Jayanti 2023 : लोगों के दिलो-दिमाग पर है बापू के विचारों की गहरी छाप
मालवीय नगर की शोभा ने सहेज रखा है गांधी जी द्वारा अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिता को उपहार में दिया गया चरखा
महात्मा गांधी जी द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी धर्मवीर को दिया गया चरखा।
मुरादाबाद, अमृत विचार। मुरादाबाद के लोगों के दिलो दिमाग पर बापू के विचारों की गहरी छाप आज भी है। 1920 व 1929 में स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मुरादाबाद आए तो उनके ओजस्वी विचारों से स्वतंत्रता आंदोलन की लौ यहां और तेज हुई थी। वहीं उनके द्वारा बिताए गए पलों की छाप लोगों ने संजो कर रखी है। इन्हीं में से एक मालवीय नगर की रहने वाली शोभा हैं जिन्होंने बापू द्वारा अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिता को उपहार में दिए गए चरखे को आज भी सहेज रखा है।
- 1920 में सरोज सिनेमा में आयोजित सम्मेलन में बनी थी असहयोग आंदोलन की सफलता को रणनीति
- 1920, 1921 और वर्ष 1929 में मुरादाबाद आए थे राष्ट्रपिता आंदोलन को मिली थी गति
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1920 सितंबर में मुरादाबाद से ही असहयोग आंदोलन की नींव रखी थी। उनकी एक आवाज पर सभी वर्ग के लोगों ने देश को आजाद कराने की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई थी। महानगर के मालवीय नगर में रहने वाली शोभा बताती हैं कि उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी धर्मवीर आयुर्वेद अलंकार ने गांधी जी के साथ बहुत काम किया। बापू ने उनके पिता को चरखा उपहार में दिया था। यह चरखा आज भी सहेज कर रखा गया है। भले ही इस पर कोई अब सूत नहीं कातता। चरखे को देखकर बापू की याद हमेशा ताजी होती रहती है। उनका कहना है कि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर उनके माता पिता ने कई बार टाउनहाल पर इस चरखे से सूत काता था।
1920 में रखी थी असहयोग आंदोलन की नींव
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए असहयोग आंदोलन चलाया इसकी नींव उन्होंने मुरादाबाद में रखी थी। अखिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन के जिला महासचिव धवल दीक्षित ने कहना है कि सितंबर 1920 में महात्मा गांधी ने डॉ. भगवान दास की अध्यक्षता में महाराजा टाकीज जो वर्तमान में सरोज सिनेमा के नाम से जाना जाता है में सम्मेलन में असहयोग आंदोलन की नींव रखी थी। सम्मेलन में महात्मा गांधी के अलावा पं. मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली, पं. जवाहर लाल नेहरू, शौकत अली आदि मौजूद थे। इसी सम्मेलन में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ। बापू तीन बार 1920, 1921 और 1930 में मुरादाबाद में आए थे। उन्होंने बताया कि 12 अक्टूबर 1929 को मुरादाबाद में अपने प्रवास के दौरान बापू ने अमरोहा गेट पर बृज रत्न पुस्तकालय का उद्घाटन किया था। यहां आने पर पं. बूलचंद दीक्षित आदि ने स्वागत किया था। कांग्रेस का संयुक्त प्रांतीय अधिवेशन 1920 में 9 से 11 अक्टूबर तक यहां चला था।
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