लखनऊ : केजीएमयू में पांच दिनों से भर्ती दुष्कर्म पीड़ित बच्ची को आर्थिक मदद की दरकार, सरकारी सहायता के नाम पर कागजी कार्रवाई जारी

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। दुष्कर्म पीड़ित पांच वर्षीय बच्ची के साथ आज भी अन्याय हो रहा है। पैसे के अभाव में पीड़ित बच्ची को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। यह हाल तब है जब सरकार से लेकर प्रशासन तक दुष्कर्म पीड़ित को न्याय दिलाने से लेकर आर्थिक मदद देने की बात करती है। दो महीने बाद भी पीड़ित बच्ची को सरकारी मदद के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई ही मिली है। वहीं इस बारे में जब जिलाधिकारी से बात करने की कोशिश की गई, तो वीडियो कांफ्रेसिंग में शामिल होने की वजह से बात करने में असमर्थता जताई है।

दुष्कर्म पीड़ित पांच वर्षीय बच्ची करीब पांच दिनों से केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी वार्ड में भर्ती है। पीड़ित बच्ची के पिता का कहना है कि पैसे के आभाव में अभी तक इलाज शुरू नहीं हो सका है। हालांकि उन्होंने यह बताया है कि डॉक्टर कोशिश कर रहे हैं कि सरकारी मदद मिल जाये, लेकिन उसमें अभी कितना वक्त लगेगा। यह कुछ कहा नहीं जा सकता।

पीड़ित पिता की माने तो वह दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। जुलाई महीने में उनकी बच्ची के साथ यह दर्दनाक घटना हुई थी, लेकिन अभी तक किसी तरह की प्रशासन की तरफ से उन्हें आर्थिक मदद नहीं मिल पाई। जिससे बच्ची का इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मदद की सिर्फ आशा ही जताई जा सकती है और तो वह कुछ कर नहीं सकते।

सुरक्षा के लिए पहुंची पुलिस

बाल कल्याण समिति (बाराबंकी) की तरफ से लगातार किये जा रहे पत्र व्यवहार के बाद आज यानी शनिवार के दिन बच्ची को सुरक्षा मिल पाई है। बच्ची की सुरक्षा के लिए एक पुलिसकर्मी को केजीएमयू तैनात किया गया है।

स्थानीय लोगों की माने तो यह घटना इतनी वीभत्स थी कि बच्ची की जान बचाना मुश्किल था, लेकिन चिकित्सकों की मेहनत से बच्ची की जान बच गई थी, लेकिन अब बेहतर जीवन के लिए पूरा इलाज जरूरी है।

यह था मामला

करीब दो महीने पहले बाराबंकी स्थित थाना रामनगर निवासी एक पांच वर्षीय बच्ची के साथ रेप की घटना सामने आई थी। आरोपियों ने बच्ची के साथ दरिंदगी की सभी हादें पार कर दी थीं और उसे मरा हुआ समझ कर मौके से भाग निकले थे। घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्ची को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। हालत में सुधार नहीं होने पर बाराबंकी जिला अस्पताल से बच्ची को राजधानी स्थित केजीएमयू इलाज के लिए भेजा गया था। केजीएमयू में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में बच्ची की सर्जरी हुई थी। दोबारा सर्जरी के लिए डॉक्टरों ने 6 सप्ताह के बाद बुलाया था। दोबारा सर्जरी करने के लिए बच्ची को एक बार फिर केजीएमयू में भर्ती किया गया है।

सीएमओ के हस्तारक्षर ने रोका काम

बाराबंकी की जिला महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी पल्ल्वी सिंह की माने तो सरकारी मदद के लिए एक प्रक्रिया होती है। जिसमें पुलिस एफआईआर पोर्टल पर डालती है। उसके बाद योजना भवन से जिला स्तरीय कमेटी के पास मामला आता है और तभी सरकारी मदद मिल पाती है। मौजूदा समय में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के डिजिटल सिग्नेचर न हो पाने के कारण मदद नहीं मिल पा रही है।

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