लखनऊ : सर्जरी की राह देख रहे बीपी और मधुमेह से पीड़ित मरीजों को राहत देने की तैयारी, बनाया जा रहा प्रोटोकॉल

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Published By Virendra Pandey
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दिल, फेफड़े और अन्य बीमारी से ग्रसित होने पर एक ही छत के नीचे मिलेगा इलाज

लखनऊ, अमृत विचार।  इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटेंसिव केयर एंड पेरीऑपरेटिव मेडिसिन (आईसीआईपीएम) का वार्षिक सम्मेलन शुक्रवार से शुरू हो गया। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) के एनेस्थिसियोलॉजी और गहन देखभाल विभाग की तरफ आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में करीब 500 डॉक्टर, प्रतिष्ठित विशेषज्ञ और प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। यह जानकारी सम्मेलन के आयोजन सचिव प्रोफेसर पुनीत गोयल ने दी है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन के माध्यम से विभिन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों को एक छत के नीचे इलाज मिल सके। जिससे उनकों भटकना न पड़े। इसको लेकर एक प्रोटोकॉल यानी की नियम बनाया जा रहा है। जिससे इलाज का मानक निर्धारित हो सके। उन्होंने बताया कि यह सम्मेलन एनेस्थिसियोलॉजी विभाग में हो रहा है।

उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि बीते दिनो एक 80 वर्षीय महिला का कूल्हा टूट गया था। महिला के सर्जरी में काफी रिस्क था, जिसके चलते तीन अस्पतालों से उन महिला को लौटाया भी गया था। दरअसल, महिला को दिल तथा फेफड़े संबंधित बीमारी थी। जिसके चलते सर्जरी करने में दिक्कत आ रही थी, लेकिन अपेक्स ट्रामा सेंटर में महिला की सर्जरी हो सकी। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में इस तरह के मानक तय होने हैं। जिससे इस तरह के किसी भी मरीज को इलाज के लिए भटकना न पड़े और उसे एक छत के नीचे इलाज मिल जाये।

उन्होंने बताया कि इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटेंसिव केयर एंड पेरीऑपरेटिव मेडिसिन (आईसीआईपीएम) का तीन दिवसीय पहला वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन है। इस सम्मेलन में प्री-ऑपरेटिव, इंट्रा-ऑपरेटिव और अनुकूल परिणामों के लिए अत्यधिक गंभीर सर्जिकल मरीजों का पोस्ट-ऑपरेटिव मूल्यांकन, तैयारी और समग्र प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए रोगी देखभाल में सुधार करने के बारे में नई तकनीक की जानकारी मिलेगी। जिससे दिल, फेफड़े समेत अन्य बीमारी से ग्रसित मरीजों को एक छत के नीचे इलाज मिल सकेगा।

उन्होंने बताया कि  एसजीपीजीआई में गंभीर मरीज सर्जरी के लिए आते हैं। जिसमें से बहुत से मरीज अनियंत्रित रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा, सीओपीडी, कोरोनरी धमनी रोग और अन्य प्रणालीगत विकार से पीड़ित होते हैं। ऐसे मरीजों को अपनी चिकित्सा समस्याओं के इलाज के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग में भटकना पड़ता है और सर्जरी के लिए काफी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। ऐसे रोगियों को एक पेरिऑपरेटिव चिकित्सक की देखरेख में भर्ती किया जा सकता है जो सभी संबंधित चिकित्सा समस्याओं का ध्यान रखता है और रोगी को सर्जरी के लिए तैयार करता है। 

बता दें कि इस सम्मेलन के आयोजन अध्यक्ष प्रोफेसर एसपी अंबेश है।

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