दो जन्म प्रमाण पत्र मामला: आजम खां, अब्दुल्ला और डॉ. तजीन फात्मा को सात साल की सजा
एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाया फैसला, कोर्ट से पुलिस कस्टडी में भेजा गया जिला कारागार, बचाव पक्ष की ओर से लगाई गई आपत्ति हुई खारिज, दोपहर ढाई बजे दोषियों को कोर्ट ने सुनाया फैसला
रामपुर, अमृत विचार। अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने बुधवार को सपा नेता आजम खां, स्वार के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम और डा. तजीन फात्मा को सात-सात साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा तीनों पर 50 हजार का जुर्माना लगाया है। सजा के बाद तीनों को कोर्ट से जिला कारागार भेज दिया गया। हालांकि बचाव पक्ष की ओर से आपत्ति लगाई गई थी, जोकि खारिज कर दी गई।
बताते चलें कि भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में गंज थाने में सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां के बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र होने का मामला दर्ज कराया था, जिसमें आजम खां और उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा को भी आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने विवेचना के बाद मामले में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। मामला एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट में चल रहा था।
बुधवार को इस मामले की सुनवाई थी। लिहाजा, दोपहर करीब एक बजे सपा नेता आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी डा. तजीन फात्मा पहुंच गईं थीं। कुछ देर बाद भाजपा विधायक आकाश सक्सेना कोर्ट पहुंच गए। दोपहर करीब डेढ़ बजे कोर्ट ने तीनों को दोषी करार दे दिया, जिसके बाद तीनों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। दोपहर करीब ढाई बजे कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
जन्म प्रमाण पत्र मामले में 15 गवाह हुए पेश
सपा नेता आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा को सात-सात साल की कैद की सजा दस्तावेजी साक्ष्य और गवाहों के आधार पर हुई है। अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि अभियोजन की तरफ से 15 गवाह और 70 दस्तावेजी साक्ष्य कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए गए। यही साक्ष्य तीनों की सजा का आधार बने हैं। जबकि, बचाव पक्ष की ओर से 19 गवाह पेश किए गए, लेकिन अदालत में उनके बयान सिद्ध नहीं हो सके।
जन्मतिथि के फेर में जा चुकी है अब्दुल्ला की विधायकी
जन्मतिथि के चक्कर में एक बार अब्दुल्ला आजम अपनी विधायकी भी गवां चुके हैं। दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी जन्मतिथि का ब्यौरा दिया था। जिसके बाद उनके निकटतम प्रतिद्वंदी रहे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने हाईकोर्ट चले गए। उनका कहना था कि 2017 में चुनाव के समय अब्दुल्ला आजम की उम्र 25 साल से कम थी, जबकि चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फर्जी कागजात और हलफनामा दाखिल किया था। हाईस्कूल की मार्कशीट और अन्य दस्तावेजों को आधार बनाया गया था। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद अब्दुल्ला की विधानसभा की सदस्यता को रद्द करते हुए चुनाव शून्य घोषित कर दिया था।
किस धारा में कितनी हुई सजा
- आईपीसी की धारा 420 में 3 साल की सजा, 10 हजार का जुर्माना
- आईपीसी की धारा 467 में 7 साल की सजा 15 हजार का जुर्माना
- आईपीसी की धारा 468 में 3 साल की सजा 10 हजार का जुर्माना
- आईपीसी की धारा 471 में 2 साल की सजा 10 हजार का जुर्माना
- आईपीसी की धारा 120 बी में 1 वर्ष की सजा 5 हजार का जुर्माना
कोर्ट का जो फैसला आया है वह ऐतिहासिक है। अन्याय के खिलाफ जंग आगे भी जारी रहेगी। दोषियों को सजा मिलती रहेगी। - आकाश सक्सेना, शहर विधायक (वादी)।
कोर्ट ने तीनों को दोषी मानते हुए सात-सात साल की कैद व 50-50 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई है। - अमरनाथ तिवारी, अभियोजन अधिकारी।
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