मुरादाबाद : जिले में सड़क हादसों ने लील लीं 229 जिंदगी, अंकुश के उपाय निष्प्रभावी
खतरे का सफर: इस साल हुए 338 सड़क हादसे, कहीं टूटे मार्ग तो कहीं वाहनों की तेज गति बनी दुर्घटनाओं की वजह
विष्णुदत्त पांडेय, अमृत विचार। सड़क हादसों में कमी लाने के जागरुकता व उपायों के बाद भी इस साल 10 माह में 338 दुर्घटनाओं में 229 लोगों ने जिंदगी गंवा दी। कहीं तेज रफ्तार तो कहीं टूटी सड़कों के चलते हादसे पर अंकुश नहीं लगने से सफर असुरक्षित है। सड़क हादसों में 277 लोग गंभीर रूप से जख्मी भी हुए हैं। जबकि सड़क सुरक्षा सुरक्षा माह और सप्ताह मनाकर लोगों को जागरूक किया जाता है।
यातायात नियमों की अनदेखी कर लोग खुद के साथ दूसरों की जिंदगी भी खतरे में डाल रहे हैं। जिले में इस साल जनवरी से 20 अक्टूबर तक 338 सड़क हादसे हुए। इनमें 229 लोगों की मौत हो गई। ऐसी स्थिति तब है जब यातायात पुलिस सड़क सुरक्षा माह और सप्ताह अभियान में शिक्षा के मंदिरों से लेकर सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को जागरूक कर सुरक्षित सफर का प्रयास करती है। लेकिन तेज रफ्तार और सड़कों की हालत से उनके प्रयास पर विफल साबित हो रहे हैं। यातायात पुलिस के आंकड़े खुद इसकी तस्दीक कर रहे हैं।
पब्लिक एड्रेस सिस्टम नहीं आ रहा काम
महानगर में लोगों को जागरूक करने के लिए लोकोपुल, किला तिराहा, कोठीवाल डेंटल कॉलेज, मधुबनी तिराहा, रोडवेज हरपाल नगर, ताड़ीखाना, इंपीरियल तिराहा, फव्वारा तिराहा, सेल टैक्स चौराहा, चरण सिंह चौक, हनुमान मूर्ति चौराहा, प्रकाश नगर चौराहा पर पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लगाया गया है। इसमें रिकॉर्ड यातायात नियमों को लाउस्पीकर के माध्यम से लोगों को बताई जाती है। लेकिन हादसे के आंकड़े इसकी सफलता पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं।
अब तक सिर्फ दो नेक आदमी
जनपद में आए दिन सड़क दुर्घटना होती रहती है। लेकिन सहायता के हाथ बहुत कम हैं। 2022 में सिर्फ दो नेक आदमी चिह्नित हुए हैं। जो हादसे में पीड़ितों की मदद को आगे आए। जिसमें सिरसी भूडा निवासी घनश्याम ने 3 दिसंबर वर्ष 2022 को बिलारी- सिरसी रोड पर घायल व्यक्ति को तत्काल सीएचसी बिलारी में भर्ती कराकर उपचार दिलाया था। जबकि बिलारी तहसील के स्योडारा निवारी राजवाज ने दुर्घटना में घायल को समय रहते हुए अस्पताल पहुंचा कर उसकी जान बचाई थी। दोनों नेक आदमी को सरकार की ओर से 5000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई। दूसरों को भी इनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है।
महानगर में इन स्थानों पर लोड फैक्टर अधिक
यातायात पुलिस की माने तो महानगर के स्टेशन रोड, कांठ रोड, दिल्ली रोड पर यातायात का दबाव अधिक रहता है। इस पर वाहनों की संख्या अधिक होने और विभिन्न स्कूलों की छुट्टी के समय जाम की स्थिति बनती है। साथ ही किसी प्रतियोगी परीक्षा के दिन भी यातायात प्रबंधन चुनौती बनती है।
क्या है गोल्डन ऑवर
किसी दुर्घटना में यदि गंभीर रुप से घायल व्यक्ति को एक घंटे के अंदर अगर इलाज मिल जाता है. तो उसकी जान पर खतरा कम हो जाता है। सड़क हादसा होने पर शुरूआत के पहले घंटे को गोल्डन ऑवर कहते हैं।
16 ब्लैक स्पॉट बन रहे काल
दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र के रूप में चिह्नित 16 ब्लैक स्पॉट लोगों के लिए काल बन रहे हैं। इनको सुधारने के लिए मंडलायुक्त से लेकर जिलाधिकारी हर बार बैठकों में निर्देश देते हैं। लेकिन अभी कई जगह ब्लैक स्पॉट को सुधारा नहीं जा सका है।
हेलमेट व सीट बेल्ट की अनदेखी हादसों की वजह
अधिकतर सड़क दुर्घटनाओं में बिना हेलमेट पहने दो पहिया वाहन चलाने, चार पहिया वाहन चलाते सीट बेल्ट न बांधने और कई जगह सड़क के गड्ढे और बेतरतीब स्पीड ब्रेकर भी बने। कई मामले में ओवर स्पीडिंग ने भी लोगों की जिंदगी को खतरे में डाला।
इन जगहों पर होती है रफ्तार की जांच
- सर्किट हाउस के नजदीक अप डाउन
- कांठ रोड पर सिटी इंट्री व एग्जिट प्वाइंट
- रामपुर रोड सिटी इंट्री व एग्जिट प्वाइंट
- रामपुर रोड सैनी धर्म कांटा अप/डाउन
इन 16 स्थानों पर चिह्नित हैं ब्लैक स्पॉट
- मझोला थाना क्षेत्र के एनएच-9 पर जीरो प्वांइट
- ओल्ड एनएच-24 मझोला थाने के सामने
- पाकबड़ा थाना के अन्तर्गत नएच 9 पर सीएनजी पंप
- मूंढापांडे थाना क्षेत्र में एनएच-9 पर जीरो प्वांइट
- मूंढापांडे थाना क्षेत्र में एनएच-9 पर सिहोरबाजे
- मूंढापांडे थाना क्षेत्र में एनएच 9 पर मनकरा रोड
- बिलारी थाना क्षेत्र में एनएच-509 पर हाथीपुर गांव
- कुंदरकी थाना क्षेत्र में एनएच-509 पर नानपुर गांव
- कटघर थाना क्षेत्र में एनएच-734 पर काशीपुर तिराहा (रामपुर दोराहा)
- सिविल लाइन्स थाना क्षेत्र में एसएच-49 पर किला तिराहाक
- कटघर में एसएच-43 पर कोहिनूर तिराहा
- छजलैट में एसएच-49 पर काठ की पुलिया
- छजलैट में एसएच-49 पर छजलैट तिराहा
- कांठ में एसएच-76 पर उमरी चौराहा
- मैनाठेर में एसएच-148 पर महमूदपुर माफी
- भोजपुर में एसएच 148 पर इस्लामनगर चौराहा
सड़क हादसे रोकने के लिए यातायात जागरूकता अभियान नियमित चलाया जाता है। शिक्षा संस्थानों, सार्वजनिक कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करते हैं। माइक के माध्यम से घोषणा भी की जाती है। परिवहन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग से समन्वय कर हादसों पर अंकुश के साथ ही पीड़ितों को इलाज को कदम बढ़ाते हैं। - सुभाष चंद्र गंगवार, पुलिस अधीक्षक यातायात
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