इजरायल-हमास संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से भारत का दूर रहना 'चौंकाने वाला' : असदुद्दीन ओवैसी

इजरायल-हमास संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से भारत का दूर रहना 'चौंकाने वाला' : असदुद्दीन ओवैसी

हैदराबाद। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि यह ‘चौंकाने वाला’ है कि भारत ने इजरायल-हमास संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव से खुद को दूर रखा। ओवैसी ने मतदान से भारत की दूरी को देश की ‘असंगत विदेश नीति’ करार दिया।

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हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किये गये एक संदेश में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘हमास हमले’ की निंदा की, लेकिन संघर्ष विराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी। उन्होंने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी ने हमास हमले की निंदा की है, लेकिन संघर्ष विराम की मांग को लेकर संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव पर सहमति नहीं जताई।

उन्होंने कुछ दिन पहले जॉर्डन के राजा से बात की थी, लेकिन जॉर्डन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर मतदान से भारत अलग रहा। यह एक असंगत विदेश नीति है। ओवैसी ने कहा, ‘‘यह चौंकाने वाला तथ्य है कि नरेन्द्र मोदी सरकार मानवीय संघर्ष विराम और नागरिक जीवन की सुरक्षा के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से दूर रही।’’

भारत शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन के उस प्रस्ताव पर मतदान से अलग रहा, जिसका शीर्षक था- ‘‘नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखना।’’ इस प्रस्ताव में इज़राइल-हमास संघर्ष में तत्काल संघर्ष विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच का आह्वान किया गया था।

ओवैसी के अनुसार, गाजा में इजराइल द्वारा कथित तौर पर 7,028 लोगों की हत्या कर दी गई है और उनमें 3,000 से अधिक बच्चे और 1,700 महिलाएं हैं। ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया, ‘‘यह एक मानवतावादी मुद्दा है, न कि राजनीतिक। प्रस्ताव पर रोक लगाकर, भारत दक्षिण एशिया और ब्रिक्स के ग्लोबल साउथ देशों में अकेला पड़ गया है।

भारत ने नागरिकों के जीवन से संबंधित मुद्दे पर खुद को अलग क्यों रखा? गाजा को सहायता भेजने के बाद, (मतदान से) अलग क्यों? ‘एक विश्व एक परिवार’ और ‘विश्वगुरु’ का क्या हुआ?’’ 

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