प्रशासनिक आधार पर किए गए स्थानांतरण में कर्मचारी की आपत्ति सुनवाई योग्य नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published By Sachin Sharma
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक स्थानांतरण मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि जब स्थानांतरण आदेश प्रशासनिक आवश्यकताओं के कारण किए जाते हैं तो किसी भी कर्मचारी की आपत्ति पर विचार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि जब कर्मचारी सेवा में आया था तो उसे भली- भांति पता था कि वह स्थानांतरणीय नौकरी में आया है।

अतः कोई भी कर्मचारी किसी विशेष स्थान पर स्थानांतरण का दावा नहीं कर सकता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की एकलपीठ ने यूनाइटेड फोरम ऑफ़ वी बैंकर्स के महासचिव द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि वर्तमान मामले में स्थानांतरण एकल स्थानांतरण नहीं था बल्कि बैंक के अन्य कर्मचारियों का भी स्थानांतरण किया गया था।

प्रशासनिक कारणों से किए गए स्थानांतरण आदेशों में न्यायालय को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायालय को तब तक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है, जब तक स्थानांतरण दुर्भावनापूर्ण ना हो या किसी वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करके किया गया हो।

याची के पास किसी विशेष स्थान पर अपनी पोस्टिंग का दावा करने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। मौजूदा मामले में स्थानांतरण पूर्णतः प्रशासनिक आधार पर किया गया था, इसीलिए इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। याचिका के साथ दाखिल दस्तावेजों के अवलोकन से पता चलता है कि याची ने अपने स्थानांतरण को रोकने के लिए पूरे ट्रेड यूनियन के साथ-साथ विभिन्न कार्यवाही दाखिल की है।

ऐसा कृत्य व्यक्तिगत कारणों से कानून की प्रक्रिया के शुद्ध दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है। दरअसल याची कर्मचारी का पहला स्थानांतरण हरदोई से कानपुर किया गया था। उस समय भी याची ने यूनियन की हड़ताल का आवाहन किया था। अपने व्यक्तिगत एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए यूनियन के महासचिव के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए विभिन्न स्तरों पर शिकायत दर्ज की थी जो केवल विपक्षियों पर दबाव डालने के लिए था।

ट्रेड यूनियन के महासचिव के रूप में याची को कर्मचारियों की आवाज माना जाता है। उसे अपने पद का उपयोग अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं करना चाहिए। अंत में कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याची ने स्थानांतरण आदेश के तुरंत बाद हड़ताल का आवाहन कर बैंकिंग कार्य को बाधित करने का प्रयास किया। इसके अलावा याची किसी भी दस्तावेज के द्वारा यह सिद्ध नहीं कर सका कि हड़ताल बैंक कर्मचारियों के हित में थी।

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