Kanpur IIT ने पेश किया ग्रामीण शिक्षा और विकास का मॉडल, इस तरह के Model को बताया जरूरी

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर आईआईटी ने पेश किया ग्रामीण शिक्षा और विकास का मॉडल।

कानपुर आईआईटी ने पेश ग्रामीण शिक्षा और विकास का मॉडल किया। ओआरईआई का उपयोग डॉक्टरेट छात्र ग्रामीण छात्रों से जुड़ने के लिए करते हैं। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने इस तरह के मॉडल को जरूरी बताया।

कानपुर, अमृत विचार। आईआईटी कानपुर में गुरुवार को हुए आयोजन में ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा का मॉडल प्रस्तुत किया गया। इस मॉडल के जरिए दूर ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे बच्चों को आसानी से शिक्षित किया जा सकता है। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से ग्रामीण विकास की योजना भी दिखाई गई।

बताया गया कि ओआरईआई प्लेटफॉर्म का उपयोग आईआईटी कानपुर में डॉक्टरेट छात्रों की ओर से ग्रामीण छात्रों से जुड़ने और उन्हें शिक्षित करने के लिए किया जाता है। समारोह में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने भी इस तरह के मॉडल को देश की जरूरत बताया। 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के रणजीत सिंह रोज़ी शिक्षा केंद्र ने ग्रामीण विकास का एक मॉडल प्रदर्शित किया। यह मॉडल ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा पहल (ओआरईआई) प्लेटफॉर्म के माध्यम से दूरदराज के ग्रामीण स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने के लिये आईआईटी कानपुर के डॉक्टरेट छात्रों की ओर से तैयार किया गया है। इस समारोह में प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे।

उन्होंने आईआईटी कानपुर के छात्र स्वयंसेवकों के समर्पण की सराहना की। कहा कि उनका प्रयास वास्तव में सराहनीय हैं। ओआरईआई उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से समर्थित एक अनूठा मॉडल है। उन्होंने आरएसके को अधिक विश्वविद्यालयों के साथ जुड़कर अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया। यह भी कहा कि अगले वर्ष तक 500 छात्रों तक पहुंचने का लक्ष्य रखने से इसका विस्तार जल्द हो सकता है। उन्होंने उच्च शिक्षा के छात्रों को सुदूर गांव के छात्रों से जोड़ने वाले उन्नत शिक्षा अभियान कार्यक्रम की भी प्रशंसा की। 

युवा नौकरी देने वाले बने

समारोह के दौरान मुख्य सचिव ने रोजी शिक्षा केंद्र के कौशल कार्यक्रम के प्रमाण पत्र वितरण और पुरस्कार समारोह की भी अध्यक्षता की। समारोह में उन्होंने कहा कि चमड़ा और परिधान उद्योगों में प्रशिक्षण एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि ये कानपुर जिले की ओडीओपी ‘एक जिला एक उत्पाद’ का भी हिस्सा हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं को उद्योग में प्रवेश करने, नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी निर्माता बनने, अपने काम में उत्कृष्टता हासिल करने और ओडीओपी और विश्वकर्मा योजना जैसी योजनाओं का लाभ उठाते हुए अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करने पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया। 

याद किए पुराने दिन

समारोह में मुख्य सचिव ने अपने पुराने दिन भी याद किए। कहा कि आईआईटी कानपुर न केवल विज्ञान और इंजीनियरिंग शिक्षा में उत्कृष्ट है बल्कि समाज की भलाई के लिए भी काम करता है। उन्होंने आईआईटी कानपुर के छात्र के रूप में अपने पुराने दिनों को भी याद किया। कहा कि वो दिन उन्हें आज भी याद है जब वह साइकिल से गांवों में जाते थे और एनएसएस और एनसीसी गतिविधियों में भाग लेते थे। उन्होंने प्रशिक्षुओं से अपनी प्रतिभा को पहचानने और सर्वोच्च उपलब्धि हासिल करने के लिये प्रेरित किया।

सफलता के लिए नेटवर्क जरूरी

उन्होंने युवाओं को जरूरी टिप्स भी दिए। यह कहा कि विभिन्न स्टेकहोल्डर्स को एक साथ लाने में आरएसके केंद्र के प्रयास सराहनीय है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार के मौजूदा उद्देश्यों के अनुरूप किसी भी सफल कार्यक्रम के लिए पार्टनरशिप और नेटवर्क आवश्यक है। उन्होंने उत्पाद की गुणवत्ता और मार्केट अपील बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी और डिजाइन इनपुट के महत्व पर जोर दिया। 

बच्चों से की बातचीत            

समारोह में उन्होंने बच्चों से भी बतचीत की। उन्होंने बच्चों से पूछा कि आईआईटी कानपुर की कक्षाएं उन्हें कैसे लाभ पहुंचा रही हैं, तो बच्चों ने उत्साहपूर्वक जवाब देते हुए बताया कि ओआरईआई कक्षाएं कठिन विषयों को सरल बनाती है। गणित की कक्षाएं विशेष रूप से दिलचस्प हैं और वे उन्हें पसंद करते हैं। एक अन्य छात्र ने कहा कि भौतिकी को सरल प्रयोगों के माध्यम से पढ़ाया जाता है, जिससे इसे समझना बहुत आसान हो जाता है। राम जानकी इंटर कॉलेज में दसवीं कक्षा की छात्रा स्वाति से जब उनकी भविष्य की आकांक्षाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह एक बड़ी अधिकारी बनना चाहती हैं। स्कूल के प्रिंसिपल ने आईआईटी स्वयंसेवकों की उनके असीम उत्साह के लिए प्रशंसा की, जो बच्चों के लिए विषयों को जीवंत बनाता है।
       

सरलता से पढ़ाई जरूरी

समारोह में रोजी शिक्षा केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर संदीप संगल ने स्मार्ट कक्षाओं में उपयोग के लिए स्वयंसेवकों की ओर से विकसित सैकड़ों सरल प्रयोगों का प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि जब बच्चों को इन मॉडलों के माध्यम से अवधारणाओं से परिचित कराया जाता है, तो यह उनका ध्यान जल्दी आकर्षित करता है और वह सरलता के साथ सीखते हैं। 

40 वर्षों की सेवा आईआईटी का योगदान 

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के 64वें स्थापना दिवस तथा संस्थान फेलो एवं पूर्व छात्र पुरस्कार समारोह में भी शिरकत किया। समारोह में मुख्य सचिव को प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सम्मान प्राप्त करने के बाद अपने सम्बोधन में उन्होंने आईआईटी के प्रोफेसरों का आभार व्यक्त किया। कहा कि संस्थान ने उन्हें इस काबिल बनाया है। आज वह जो कुछ भी हैं वह इस संस्थान की वजह से हैं। आईआईटी कानपुर से पैशन फॉर एक्सीलेन्स, नेवर गिव अप एटीट्यूड, कलैबरेट अप्रोच और यहां के संस्कार सीखने को मिला है। सबसे बड़ी बात संस्थान में हर चीज साथ मिलकर करना होता था। 40 वर्ष की सेवा में हर कार्य में आईआईटी कानपुर से प्राप्त शिक्षा का योगदान रहा है। इस अवसर पर उन्होंने उन सभी प्रोफेसर को याद किया, जिन्होंने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है।

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