लखनऊ : सर्जरी की नई तकनीक सीखने जुटे न्यूरो सर्जन

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में कल यानी शनिवार को न्यूरो सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस मनाया जायेगा। विभाग के स्थापना दिवस से एक दिन पहले शुक्रवार को करीब 80 न्यूरो सर्जन ने डीसीईआर तकनीक से क्रैनियो-वर्टेब्रल जंक्शन के सर्जरी की बारीकियां सीखीं। इस दौरान खास बात यह रही कि इस तकनीक को ईजाद करने वाले नई दिल्ली एम्स के प्रो. पी. शरत चंद्रा ने ही डॉक्टरों को सर्जरी की बारीकियां सिखाई। 

केजीएमयू में न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीके ओझा ने बताया कि क्रैनियो-वर्टेब्रल जंक्शन एक जन्मजात बीमारी है। कुछ मामलों में यह चोट लगने पर भी हो सकती है। यह शरीर के सिर और गर्दन की हड्डी जिस जगह पर जुड़ती है। वहां पर नस दबने से होता है। जिसकी वजह से पीड़ित मरीज के हाथ-पैर में कमजोरी, शौच में परेशानी समेत कई प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। भारत में यह बीमारी बहुत से लोगों को अपने चपेट में लेती है, खास कर गरीब तपके के लोग इस बीमारी से पीड़ित अधिक देखे गये हैं। उन्होंने बताया कि केजीएमयू स्थित न्यूरो सर्जरी विभाग में प्रत्येक माह करीब 7 से 8 मरीजों की सर्जरी की जाती है।

प्रो. बीके.ओझा ने बताया कि प्रो. पी. शरत चंद्रा ने डीसीईआर नाम की नई तकनीक तैयार की है। जिससे क्रैनियो-वर्टेब्रल जंक्शन की खराबी के इलाज और सर्जरी का रास्ता और सुगम हुआ है। यह पारंपरिक तकनीक से बेहतर तकनीक है। इस तकनीक से सर्जरी करने पर बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। 

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