गोवध मामलों की सुनवाई में पुलिस आयुक्त के उपस्थित ना होने पर हाईकोर्ट ने अपनाया तल्ख रवैया
अमृत विचार लखनऊ/ प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 से लेकर आज तक प्रदेश स्तर पर गोवध से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान गुरुवार को संबंधित मामलों की संपूर्ण प्रगति रिपोर्ट के साथ गृह सचिव को आगामी 12 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकलपीठ द्वारा उक्त आदेश पारित होने के बाद शासकीय अधिवक्ता एके संड पुलिस आयुक्त, प्रयागराज रमित शर्मा के साथ हाईकोर्ट पहुंचे और आदेश वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया।
इस पर कोर्ट ने इस मामले को 12 दिसंबर की जगह 2 दिसंबर को नए वाद के रूप में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। उपरोक्त तिथि पर प्रार्थना पत्र का निस्तारण किया जाएगा और इस दिन गृह सचिव को उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। दरअसल कोर्ट ने गौहत्या से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान गत 17 नवंबर को पुलिस आयुक्त, प्रयागराज को आदेश दिया था कि वह 30 नवंबर को गौहत्या से संबंधित प्रदेश स्तर पर जितनी भी प्राथमिकी दर्ज हुई है, उनकी सूची और प्रगति रिपोर्ट के साथ व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होंगे, लेकिन तय तिथि पर संबंधित अधिकारी उपस्थित नहीं हुए और ना ही उनकी तरफ से कोई शपथ पत्र दाखिल किया गया।
इस पर कोर्ट ने तल्ख रवैया अपनाते हुए कहा कि गृह सचिव समस्त रिपोर्ट के साथ व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होंगे। ऐसा न करने की स्थिति में कोर्ट उनके विरुद्ध आदेश पारित करने के लिए बाध्य होगी।
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