UP: इतिहास का पुनर्लेखन: तथ्यपरक सामग्री परोसने का आरएसएस ने बीड़ा उठाया, CSJM विश्वविद्यालय में दो दिवसीय सम्मेलन

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर के सीएमजेएमयू विश्वविद्यालय में दो दिवसीय सम्मेलन दो दिसंबर से है।

कानपुर के सीएमजेएमयू विश्वविद्यालय में दो दिवसीय सम्मेलन दो दिसंबर से है। देश भर से 300 से ज्यादा इतिहासकार, पुरातत्वविद व अन्य विद्वान पहुंचेंगे।

कानपुर, अमृत विचार। यह सर्वस्वीकृत एवं प्रामाणिक तथ्य है कि भारत का इतिहास देश, काल एवं घटना की दृष्टि से खण्डित, विसंगतिपूर्ण एवं विकृत सिद्धान्तों पर आधारित है। यूरोपीय प्रभुत्वकाल में पाश्चात्य मानसिकता से लिखित इतिहास तथ्य सत्य एवं लेखक तीनों ही कसौटियों पर अप्रामाणिक, अश्रद्धेय तथा पूर्वाग्रहों से युक्त है।

इसलिए स्वाधीनता के पश्चात् सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तरों पर इतिहास-संशोधन के अनेक प्रयत्न हुए और हो रहे हैं। ऐसे में इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता महसूस की गयी। इन्हीं पर सीएमजेएम कानपुर विश्वविद्यालय में दो और तीन दिसंबर को भारतीय इतिहास में आर्थिक दृष्टिकोण: कृषि, पशुपालन एवं वाणिज्य विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा।

यह जानकारी विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो.सुधीर कुमार अवस्थी ने विवि परिसर में प्रेसवार्ता में दी। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली एवं दीन दयाल शोध केंद्र, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के संयुक्त तत्वाधान में दो दिनों के सेमिनार में विभिन्न सत्रों में 50 से ज्यादा शोध पत्र पढ़े जाएंगे। उद्घाटन सत्र का कार्यक्रम वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई सभागार, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में होगा।

उन्होंने बताया कि देश भर के सभी राज्यों के लगभग 300 से ज्यादा इतिहास एवं पुरातत्त्वविद, विश्वविद्यालयों के  प्राध्यापक, अनुसन्धान-केन्दों के संचालक, भूगोल, खगोल, भौतिशास्त्रादि भाग लेंगे। उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल करेंगे। 

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, इतिहास के क्षेत्र में कार्यरत विद्वतजनों का एक राष्ट्रव्यापी संगठन है जो इतिहास, संस्कृति, परम्परा आदि के क्षेत्र में प्रामाणिक, तथ्यपरक तथा सर्वांगपूर्ण इतिहास-लेखन तथा प्रकाशन आदि की दिशा में कार्यरत है। देश एवं विदेशों में रह रहे इतिहास एवं पुरातत्त्व के विद्वान्, विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्राध्यापक,अध्यापक, अनुसन्धान-केन्दों के संचालक, भूगोल, खगोल, भौतिशास्त्रादि अनेक क्षेत्रों के विद्वान् तथा वैज्ञानिक एवं इतिहास में रुचि रखने वाले विद्वान इस कार्य से जुड़े हुए हैं।

इतिहास संकलन योजना देश की सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, आर्थिक, राजनैतिक तथा जीवन के अन्य सभी पक्षों को दर्शाते हुए व्यापक इतिहास का संकलन कर रही है।

ये पुस्तकें हो चुकी हैं प्रकाशित-'आर्य आक्रमण सिद्धान्त' का उन्मूलन, वैदिक सरस्वती नदी शोध प्रकल्प, भारतीय कालगणना वैज्ञानिक एवं वैश्विक, प्राचीन नगरों का युगयुगीन इतिहास, तीर्थ क्षेत्रों का इतिहास-लेखन, पुराणों के अंतर्गत इतिहास, जनजातीय इतिहास-लेखन, जिलों के इतिहास का संकलन, युवा एवं महिला इतिहासकार।

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