Loksabha Chunav 2024: ... तो दलित वोट बांधने को अकेले मैदान में आएगी बसपा, अखिलेश का पीडीए कमजोर करने की तैयारी है कांग्रेस को झटका

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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अखिलेश का पीडीए कमजोर करने की तैयारी है कांग्रेस को झटका।

अखिलेश का पीडीए कमजोर करने की तैयारी है कांग्रेस को झटका। यूपी का 20 फीसदी दलित पर बसपा का एकतरफा दावा।

कानपुर, अमृत विचार। बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर यूपी और उत्तराखंड से आए पार्टी पदाधिकारियों को साफ निर्देश दिया है कि वे लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुट जाएं। बसपा न तो एनडीए का दामन थामेगी और न ही विपक्षी गठबंधन इंडिया का। चुनाव के बमुश्किल तमाम पांच महीने रह गए हैं। तीन दिसंबर को पांच राज्यों मे हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आ जाएंगे।

ऐसे में मायावती का अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान से सबसे ज्यादा भौंचक कांग्रेस है। उसे लगता था कि सपा से खटास बनी भी रहेगी तो बसपा से तालमेल या मिलीजुली लड़ाई लड़कर कुछ सीटें पायी जा सकती हैं। कांग्रेस के मंसूबों पर पलीता लग गया। राजनितिक पंडित बताते हैं कि 2012 से लगातार नीचे आता बसपा को प्राप्त वोटों का प्रतिशत मायावती की परेशानी का सबब है फिर उनका हौसला और वोटबैंक पर विश्वास के चलते यह निर्णय उन्होंने लिया।

अब संसदीय क्षेत्रवार प्रत्याशी की तलाश शुरू हो गयी है। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की दस सीटों पर बसपा दमखम दिखाने की तैयारी में है। फायदा किसका होगा, यह समय बताएगा। कानपुर और अकबरपुर में टिकट के दावेदार तलाशे जाने लगे हैं। अकबरपुर में दूसरे नंबर पर रही बसपा को संभावना ज्यादा दिखती है।

पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा की गलबहियां बहुत ज्यादा करतब नहीं दिखा सकी थी। इसमें नुकसान सपा का ही हुआ। बसपा को दस सीटें मिल गयी थी। इंडिया गठबंधन में यदि दोनों की पार्टीयां आती हैं तो कांग्रेस के साथ मिलकर यूपी में भाजपा को नुकसान हो सकता था। पर अब स्थितियां बदल रही हैं। यूपी में दलितों की आबादी लगभग 20 प्रतिशत है और वे चुनावों में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं।

घोसी उपचुनाव में कांग्रेस और बसपा ने प्रत्याशी नहीं लड़ाया था। सपा के प्रवक्त नीतेंद्र यादव कहते हैं कि बसपा का दलित अभी धीरे-धीरे सपा की तरफ खिसक रहा है। यही मायावती की बड़ी चिंता है। राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से सत्रह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने 14 सीटें जीतीं, जिनमें हाथरस सीट भी शामिल है।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने दो और अपना दल ने एक सीट जीती। कांग्रेस यूपी अपनी पकड़ बनाने में जुटी है। उसके सामने सवाल यह है कि जहां पर बसपा का प्रत्याशी मैदान में नहीं होता है तो उसका अधिकतर वोट भाजपा में जाता है। यह उसे वापस कांग्रेस में लाना है। उधर सपा ने पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक यानी पीडीए बनाकर मायावती को झटका दिया। बदलते चुनावी समीकरण से राज्य में करीब सभी दलों के बसपा संस्थापक कांशीराम मान्यवर हो गए। उधर आजाद समाज पार्टी की बढ़त भी मायावती को परेशान किए है।

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