बरेली: निवेशकों को मिलेगी बहेड़ी कताई मिल की 80 एकड़ जमीन
बरेली, अमृत विचार। इन्वेस्टर समिट में हजारों करोड़ के निवेश के लिए एमओयू साइन करने के बाद उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन की कमी से जूझ रहे उद्यमियों के लिए राहत भरी खबर है। बंद पड़ी बहेड़ी में कताई मिल की 80 एकड़ जमीन जल्द ही उन्हें इकाइयां लगाने के लिए उपलब्ध हो सकती है।
दरअसल, राज्य सरकार ने प्रदेश में टैक्सफेड समूह की सभी 18 कताई मिलों की देनदारियों का निपटारा कर उनकी जमीन उद्योगों को उपलब्ध कराने का फैसला किया है। अकेले बहेड़ी कताई मिल पर सैकड़ों करोड़ की देनदारी है। प्रदेश भर की कताई मिलों पर यह बकाया हजारों करोड़ में है।
प्रमुख सचिव अनिल कुमार सागर की ओर से देनदारियों और बकाये की संपूर्ण स्थिति की जानकारी लेने के बाद चार दिसंबर को टैक्सफेड समूह से जुड़े उप्र राज्य वस्त्र निगम लिमिटेड, स्टेट यार्न कंपनी लिमिटेड और उप्र सहकारी कताई मिल्स संघ के प्रबंध निदेशकों को चिट्ठी लिखी है।
इसे उन जिलों के जिलाधिकारियों को भी भेजा गया है, जहां कताई मिलें बंद पड़ी हैं। इस चिट्ठी में बंद पड़ी कताई मिलों की जमीन उद्योगों की स्थापना के लिए उपलब्ध कराने की जानकारी दी गई है। चिट्ठी के मुताबिक उप्र राज्य वस्त्र निगम लिमिटेड कानपुर के अधीन संडीला, झांसी और मेरठ की कताई मिलें 2001 से बंद हैं और उन पर 31 मार्च तक 885.40 करोड़ की देनदारी है। इनकी कुल 221.80 एकड़ भूमि है।
विधिक मामलों की करीब 43.46 करोड़ की देनदारी और सामने आ सकती है। तीनों मिलों की भूमि का वर्तमान मूल्य करीब 1966.82 करोड़ रुपये है। उप्र स्टेट यार्न कंपनी लिमिटेड कानपुर के अधीन मेजा (प्रयागराज), बांदा व रसड़ा (बलिया) एवं जौनपुर में कताई मिल हैं।
इसमें जौनपुर मिल की 50.04 एकड़ भूमि मेडिकल कॉलेज के लिए दी जा चुकी है। मिलों पर कुल 272.86 करोड़ की देनदारी है। इनकी करीब 322 एकड़ भूमि है जिसका मूल्य करीब 949.36 करोड़ है। सहकारी कताई मिल्स संघ कानपुर के अधीन 11 मिलों पर 1376.69 करोड़ रुपये की देनदारी है। भूमि की कुल कीमत 1515.76 करोड़ है।
मंदी के दौरान बंद हुई कताई मिलें अब बनेंगी औद्योगिक विकास का जरिया
उप्र राज्य वस्त्र निगम लिमिटेड, स्टेट यार्न कंपनी लिमिटेड और उप्र सहकारी कताई मिल्स संघ कानपुर के तहत 15 जिलों में 1969 से 1985 के बीच कताई मिलें स्थापित की गई थीं। इनमें बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला था।
वस्त्र उद्याेग सेक्टर में भारी मंदी और दूसरे कारणों से ये मिलें 2000 से लेकर 2017 के बीच बंद हो गईं। ये सभी कताई मिलें अलग-अलग जिलों में ऐसी जगह स्थापित हैं जहां आवागमन सुलभ है।
18 कताई मिलों की सात सौ एकड़ से ज्यादा जमीन
ब्योरे के मुताबिक अमरोहा में कताई मिल की 80.71 एकड़ जमीन है। इसके अलावा बहेड़ी में 79.61, मऊ आइमा (प्रयागराज) में 85.24 एकड़, बहादुरगंज (गाजीपुर) में 78.92 एकड़, फतेहपुर में 55.31 एकड़, महमूदाबाद (सीतापुर) में 71.02 एकड़, नगीना (बिजनौर) में 53.02 एकड़, मगहर (संत कबीरनगर) में 40.94 एकड़, बुलंदशहर में 78.56 एकड़ और कंपिल (फर्रुखाबाद) कताई मिल की 82.15 एकड़ जमीन है। कुल जमीन का क्षेत्रफल 705.48 एकड़ है।
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