बरेली: ध्यान रहे अतिक्रमणकारियों... मैडम की गाड़ी फिर न फंसे जाम में

जिला अस्पताल रोड पर ठेले-फड़ वालों पर टूटा अतिक्रमण विरोधी टीम का कोप, कब्जा हटाकर सामान भी किया जब्त

बरेली: ध्यान रहे अतिक्रमणकारियों... मैडम की गाड़ी फिर न फंसे जाम में

बरेली, अमृत विचार। कुतुबखाना रोड पर नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स की गाड़ी बृहस्पतिवार को जाम में क्या फंसी, इस सड़क पर जमे ठेले और फड़ वालों पर नगर निगम का कोप बरस पड़ा। कुछ ही मिनटों के अंदर मौके पर पहुंचे अतिक्रमण विरोधी दस्ते ने कुतुबखाना पुल के नीचे फुटपाथ पर कब्जा जमाए बैठे ठेले-फड़ वालों को खदेड़ना शुरू किया तो बाजार में अफरातफरी मच गई। रेडिमेड कपड़ों के तमाम फड़ों का सारा सामान भी जब्त कर लिया गया।

नगर आयुक्त बृहस्पतिवार को जिला अस्पताल में आयोजित कंबल वितरण कार्यक्रम में शामिल होने निकली थीं लेकिन अस्पताल रोड पर बेतहाशा अतिक्रमण होने की वजह से उनकी गाड़ी जाम में फंस गई। इसके बाद नगर आयुक्त की नाराजगी नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अभियान के प्रभारी ललतेश सक्सेना पर बरसी और ललतेश की सड़क पर अतिक्रमण करने वालों पर। नगर आयुक्त के अस्पताल से लौटने से पहले पूरी टीम के साथ वह मौके पर पहुंच गए और फिर ताबड़तोड़ ढंग से अतिक्रमण हटाए जाने के साथ फड़ वालों का सामान भी जब्त किया जाना शुरू हुआ। नगर निगम की टीम से जमकर छीनाझपटी भी हुई। कुछ ही देर में सड़क साफ हो गई।

नगर निगम की टीम ने जिला अस्पताल से कुछ आगे बढ़कर कुतुबखाना पुलिस चौकी के पीछे सड़क पर लगे चाट के ठेलों को भी हटवा दिया। हालांकि पुलिस की अनदेखी की वजह से शाम को ही फिर ठेले वाले जहां के तहां जम गए। नगर आयुक्त के अस्पताल से लौटने के बाद कुतुबखाना रोड पर भी अतिक्रमण बहाल हो गया। न पुलिस ने अतिक्रमणकारियों को रोकने की कोशिश की न न नगर निगम की टीम लौटकर हाल देखने आई। हालांकि इसके बाद बरेली कॉलेज रोड पर इलेक्ट्रिक बाजार से भी अतिक्रमण हटाया गया।

दुकानदार महीनों से रो रहे थे अवैध कब्जों का रोना
अस्पताल रोड पर निर्माणाधीन पुल के नीचे सड़क पर जमे ठेले और फड़ वाले इस रोड के दुकानदारों का भी सिरदर्द बने हुए हैं। दुकानदार पुलिस पर अतिक्रमण कराने का आरोप लगाकर कई बार अफसरों से शिकायत कर चुके हैं। कई बार बाजार भी बंद किया जा चुका है लेकिन इतनी तगड़ी कार्रवाई पहले नहीं हुई। दुकानदारों का कहना है कि उनकी दुकानों के सामने ठेले और फड़ सज जाने की वजह से उनके ग्राहक टूट रहे हैं और कारोबार चौपट होता जा रहा है।

अतिक्रमण हटाने की नाकाम कोशिशों पर हर महीने 10 लाख का खर्च
शहर को अतिक्रमणमुक्त बनाने के लिए नगर निगम बरसों से हर महीने 10 लाख रुपये से भी ज्यादा रकम खर्च करता आ रहा है लेकिन उसकी यह कोशिश कामयाब होने में नहीं आ रही, उल्टे कब्जे और बढ़ते जा रहे हैं। अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम में 15 लोगों की टीम है। इसमें दो अफसर, एक दस्ता प्रभारी, नौ स्थाई श्रमिक और छह पूर्व सैनिक हैं। इस दस्ते में एक छोटे लोडर के अलावा दो अफसरों के भी ड्राइवर शामिल हैं। इस टीम पर हर दिन 30 से 35 हजार रुपये का खर्च नगर निगम करता है। इतनी महंगी टीम सिर्फ अतिक्रमण हटाती है, अतिक्रमण होने से रोकती नहीं। अतिक्रमण होता है और फिर हो जाता है। शहर में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां अतिक्रमण हटाया गया हो और दोबारा न हुआ हो।

अभियान चलाते हैं मगर चालान नहीं करते
अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ नगर निगम आधी-अधूरी कार्रवाई ही करता है। आमतौर पर चालान तक नहीं किए जाते, अभियान के दौरान जो अतिक्रमणकारी टीम से उलझता है, उसी का चालान होता है। कुछ लोगों से जुर्माना वसूला जाता है तो कागजों में हेराफेरी कर दी जाती है। सामान जब्त किया जाता है तो उसका भी कोई लेखाजोखा नहीं रखा जाता।

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